समय पर भुगतान

सोमवार से शुरू हो रहे नये वित्त वर्ष के पहले दिन से यह नियम लागू हो गया है कि कंपनियों को सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्यमों से की गयी खरीद का भुगतान 45 दिनों के भीतर करना होगा, अन्यथा उन्हें आयकर की छूट नहीं मिलेगी. बाद में ऐसी छूट भुगतान के समय के आधार पर मिलेगी. निश्चित रूप से सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्यमों को इससे लाभ भी मिलेगा और उन्हें पूंजी की कमी की समस्या भी नहीं होगी. उल्लेखनीय है कि 2006 से ही इस तरह की कानूनी व्यवस्था थी, पर उस पर अमल नहीं होता था. अब आयकर छूट के साथ उधार को जोड़ने से इसके कारगर होने की आशा है. पिछले वर्ष बजट में आयकर कानून में संशोधन कर नया प्रावधान जोड़ा गया था. अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्यमों का बड़ा योगदान है. भारत में इन उद्यमों की संख्या 6.40 करोड़ है.

इन उद्यमियों की सबसे बड़ी समस्या है समुचित ब्याज दर पर समय से ऋण नहीं मिल पाना. पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने इन उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना में आवश्यक बदलाव किये थे. महामारी के दौर में और बाद में भी अनेक राहतों की घोषणा होती रही है. इससे छोटे उद्यमियों को लाभ मिला है, पर बड़ी कंपनियों द्वारा समय पर भुगतान नहीं करने से पूंजी की समस्या बनी रहती है. इन उद्यमों के ये बड़े ग्राहक ताकतवर होते हैं. इस कारण उनसे ठीक से मोल-भाव करना मुश्किल होता है. कई बार पिछले भुगतान को अगले ऑर्डर के साथ जोड़ दिया जाता है. छोटे उद्यम इस भय से भी अपने बड़े ग्राहकों पर दबाव नहीं बना पाते कि कहीं वह खरीद ही बंद न कर दे.

कई उद्यमों के पास तो केवल एक-दो ग्राहक ही होते हैं, जो नियमित खरीद करते हैं. नये नियम से उद्यमों को राहत की उम्मीद तो है, उन्हें यह आशंका भी है कि कंपनियां कहीं खरीद न रोक दें या खरीद की मात्रा न घटा दें. पिछले साल के एक अध्ययन में बताया गया था कि इन उद्यमों का लगभग 10 लाख करोड़ रुपया उधार है. इस उधारी का सालाना ब्याज ही एक लाख करोड़ रुपया हो जाता है. जानकारों का कहना है कि यदि यह उधार चुका दिया जाए, तो यह सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्यमों को एक लाख करोड़ रुपये का अनुदान देने जैसा होगा. चूंकि भुगतान में देरी पर आयकर छूट नहीं मिलने का प्रावधान केवल उद्यमों से खरीद पर लागू है, इसलिए कंपनियां खरीद करने और छूट हासिल करने का कोई नया रास्ता निकाल सकती हैं. यह भी है कि कंपनियां एक साल के अंतर पर भुगतान कर छूट ले लें. खैर, इतना तो तय है कि उद्यमों को इस प्रावधान से एक कवच मिला है.

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