Narmadapuram News: स्वच्छता के बहाने ग्राम पंचायत फर्मों को कर रही मालामाल

नर्मदापुरम: स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत नर्मदापुरम जिले की सात जनपद की 425 ग्राम पंचायतों में अधिकतर पंचायतों में तीन गुनी ज्यादा कीमत पर एसबीएम सामग्री खरीदी गई हैं। हैरत की बात है कि पंचायतों में ये सामान जा रहे हैं लेकिन ग्राम सरपंचों और सचिवों को ये पता ही नहीं है कि ये किसके द्वारा भेजे जा रहे हैं।

सतपुड़ा का नार्मल रिक्शा e riksha से महंगा

ग्राम पंचायतों को फर्मों के खाते में भुगतान करने को कहां जा रहा हैं। जिन ग्राम पंचायतों में ये एसबीएम के तहत सामान खरीदें जा रहे हैं, उनकी कार्ययोजना में इनकी खरीद का कहीं कोई जिक्र ही नहीं है। लाखों के इस खेल में अधिकारियों के शामिल होने की बात सामने आ रही है।

सारंगपुर की E रिक्शा का बिल

स्वच्छ भारत मिशन के तहत कूड़ादान से लेकर रिक्शा पहुंचाने के नाम पर जो भुगतान किया गया हैं, उनको लेकर पंचायत  विभाग के जिम्मेदार भी चुप्पी साधे हैं। सूत्र बताते हैं कि जिला प्रशासन के जिम्मेदार अगर सिर्फ माखन नगर की सभी ग्राम पंचायतों की निधियों के खाते का ब्यौरा मांग लें, तो सारा खेल खुल जाएगा। यह बात और है कि स्वच्छ भारत मिशन का नाम जुड़ा होने के कारण अफसर खातों का ब्यौरा निकलवाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

यहां से तीनों फर्म संचालित हो रही है

पुलिस अधिकारी के बंगले को बनाया ऑफिस

सबसे खास बात यह है कि तीनों फर्म गोमती इंटरप्राइजेस, बल्लु इंटरप्राइजेस एवं सतपुड़ा मेनिफेक्चरिंग प्रा लि भोपाल के एक पुलिस अधिकारी के बंगले से संचालित हो रही है। जब denvapost तीनों फर्मों के पते जानकारी ली तो चौंक गए कि यह तीनों फर्में एनएस दामले के बंगले जो कि अशोका गार्डन भोपाल में वहां से संचालित हो रही है लेकिन जब आसपास के लोगो से पूछा तो उन्होंने बताया कि यहां ऐसी कोई फर्म नही है। यह तो पुलिस अधिकारी का बंगला हैं।

GeM पोर्टल ने रखी एसबीएम में भ्रष्टाचार की नीव

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए साल 2016 में GeM (Goverment E Marketplace) पोर्टल की शुरुआत की थी। लेकिन एसबीएम में भ्रष्टाचार की नीव इसी पोर्टल के माध्यम से रखी गई। ग्राम पंचायतों में खरीदी gem पोर्टल से बाज़ार से करीब 75 फीसदी महंगे दामों पर खरीदी जा रही है। यह बात समझ से परे है कि अधिकारी की ऐसी क्या मजबूरी है कि किसी पर भी कार्यवाही करने से बच रहे हैं।

व्यवस्थित तरीके से किया गया खेल

एसबीएम में खरीदी का खेल इतने व्यवस्थित तरीके से किया गया कि कोई इसे पकड़ ही नहि पाए। सबसे पहले इसके समान की खरीदी के लिए एक फर्म की आवश्यकता थी जिसे 2021 में बनाया गया। जिसका नाम गोमती इंटरप्राइजेस रखा गया। उसके बाद Gem पर भी रजिस्टर करा जिससे की सरकारी पोर्टल से खरीदी बता सके। अब बारी थी पंचायतों को खरीदी के लिए मानने की। सूत्रों देनवा पोस्ट को मिली जानकारी के अनुसार कुछ पंचायत तो आसानी से मान गई जो नही मानी उन पर दबाव बनाकर मना लिया गया।

GeM पोर्टल से दूरी बनाना पंचायत को पड़ा महंगा

सरपंच सचिवो को बिना बताए ही उनकी पंचायतों में समान पहुंचाया जा रहा है। इस काम को इतने व्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है कि अगर जांच की गाज गिरे भी तो सरपंच और सचिव ही फसेंगे क्योंकि GeM पोर्टल 2016 में लांच हुआ था। तब से सरकार की मंशा थी कि खरीदी सरकारी पोर्टल के माध्यम से हो। लेकिन पंचायतों ने इस से खरीदी में कोई रुचि नहीं दिखाई जबकि GeMid सभी पंचायतों की बनी हुई हैं। बस यहीं पंचायतों से गलती हो गई और उन्होने ऑनलाइन की जगह आफ लाइन GeM पोर्टल पर आर्डर का रास्ता खोल दिया और बकायदा उनसे  खाली फार्म पर सहमति ली गई। उसके बाद फार्म में सामान की मात्रा को भरा गया।  जाने अंजाने में समान का आर्डर दे दिया  और पता ही नही चला कि आर्डर उनके द्वारा दिया गया। जिन पंचायतों के खातों में राशी थी। वहां सामान भेजकर भुगतान भी करा लिया गया।

यह वही फार्मेट जो पंचायतों से भरवाए गए

इतना सब हुआ किसी को खबर ही नहीं

ग्राम पंचायतों ने एसबीएम की सामग्री के ऑर्डर इन वेंडरों को कभी दिए ही नही फिर वेंडरों सप्लाई  कैसे की बिना किसी की मिली भगत के यह कैसे संभव हुआ।

जब पंचायतों ने ऑर्डर दिया ही नहीं दिया तो फिर भुगतान कैसे किया जा रहा हैं इन वेंडरों को। आश्चर्य की बात यह है कि एक पंचायत में सचिव मेडिकल पर होने के बाद भुगतान कर दिया गया।

हर साल वेंडर द्वारा फर्म के नाम और प्रो. बदलकर सप्लाई  की जबकि तीनों फर्म का आपस मे संबंध रखती है। क्योंकि प्रशांत दामले (गोमती इंटरप्राजेज), योगेश दामले(बल्लू इंटरप्राजेज) एवं विवेक दामले सहित दोनो भाई (सतपुड़ा मैन्युफैक्चरिंग) में पार्टनर हैं।ऐसा इन फर्मों ने क्यों किया यह जानना किसी ने उचित समझा हो नही।

विगत तीन वर्षो में फर्मों ने पंचायतों में लाखों का माल सप्लाई कर बारे न्यारे कर लिए लेकिन अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी यह कैसे संभव हैं?

बस सामान रखवा लो और पावती दे दो

नर्मदापुरम जिले के अलग-अलग गांवों के सरपंचों और सचिवों से देनवापोस्ट ने बातचीत की। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं मालूम कि किसके निर्देश पर एसबीएम की सामग्री उनके गांव में आ रही हैं। सरपंचों से बातचीत में पता चला कि पंचायत विभाग के एक अधिकारी ने सिर्फ इतना कहा कि बस सामान रखवा लो और पावती दे दो।

हालांकि कुछ सरपंचों ने इसका विरोध भी किया लेकिन बाद में इनका भुगतान ग्राम पंचायत के खाते से कर दिया गया । वही एक लोकल वेंडर ने बताया कि पंचायतों में हमारे भुगतान में महीनों लगते है लेकिन कुछ विशेष फर्म को तुरंत बिना शर्त भुगतान किया जा रहा हैं।

मुझे इसकी जानकारी नहीं हैं कि ऐसा कुछ हुआ

जब देनवापोस्ट इस संबंध में एड. सीईओ एससी अग्रवाल से बात की तो उन्होंने ने बताया कि GeM पोर्टल से खरीदी की गई । ऐसा कुछ हुआ है मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

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