झारखंड की नौ दुर्गा-04 : रुढ़ीवादी सोच को पीछे छोड़ शालिनी दुबे बनी महिला पुजारी

रांची, लता रानी : हाल की दिनों में सोशल मीडिया पर एक युवती ने अपनी सुरीली आवाज से तहलका मचा दिया. उसकी प्रतिभा को आज पूरा देश सलाम कर रहा है. यह युवती कोई और नहीं, बल्कि झारखंड के रामगढ़ जिले की शालिनी दुबे है. इतना ही नहीं, समाज में शालिनी की पहचान पुजारी के रूप में भी. वह समाज की रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ घर-घर जाकर पूजा पाठ करवाती है. शालिनी ने लगभग 20 दिन पहले जीटी टीवी के रियलिटी शो सारेगामापा में अपनी प्रस्तुति दी थी. मेगा ऑडिशन में टॉप 25 में अपनी जगह भी बनायी. टॉप 12 तक पहुंच कर एलिमिनेट हो गयी. आज अपनी आवाज के दम पर ही शालिनी मुंबई में बड़ी कंपनियों के साथ काम कर रही है. वह मुंबई में एलबम बना रही है.

बता दें कि शालिनी दुबे, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (CUJ) से म्यूजिक में स्नातक की पढ़ाई की है. इसके बाद वह दिल्ली विवि से म्यूजिक में मास्टर की हैं. अपने सुरीली आवाज से झारखंड का नाम रौशन की है. बात करें शालिनी के पिता विश्वनाथ दुबे की तो वह पेशे से शिक्षक हैं. पिता ही उसके गुरु रहे हैं. वह पूजा-पाठ भी करवाते हैं. मां सुचित्रा दुबे सोशल वर्कर हैं. इनकी दो बेटियां हैं.

बचपन से ही पूजा-पाठ में रही है रुचि

शालिनी को बचपन से ही पूजा-पाठ में रुचि रही है. ऐसे में अब शालिनी पिता की जगह घर-घर जाकर पूजा कराने का काम करती है. हालांकि, समाज के लोगों ने शालिनी के इस कार्य का विरोध भी किया. लोगों का कहना था कि- पूजा-पाठ कराना औरतों का नहीं, मर्दों का काम है. इसके बावजूद शामिल पीछे नहीं हठी. शालिनी कहती है कि ऐसा कोई काम नहीं है, जिसे महिलाएं नहीं कर सकती हैं. हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं.

शालिनी दुबे ने म्यूजिक में छोड़ दी थी उम्मीद

म्यूजिक में शालिनी दुबे ने तो हार ही मान ली थी, लेकिन उनके जीवन में मोड़ तब आया जब शालिनी का एक गाना सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. शालिनी को लोग किचन सिंगर के नाम से जानने लगे. शालिनी दुबे द्वारा गाया गया पसुरी वर्जन लाखों लोगों की पसंद बन गया. उसकी वीडियो को मिलियन में व्यूज और लाइक्स मिले.

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