तंग बुनियादी ढांचा: बीते वर्षों के दौरान, पानी की आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी सेवाओं को जोड़ा गया, जो मूल रूप से नियोजित नहीं थी। हालांकि, इन सुविधाओं को उपलब्ध करवाए जाने से भवन में सीलन आ गई है और इससे भवन का समग्र सौंदर्य बिगड़ गया है। अग्नि सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि भवन को वर्तमान अग्नि मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया है। कई नए विद्युत केबल लगाए गए हैं जो संभावित आग के लिए खतरा थे।
अप्रचलित संचार संरचनाएं: इस भवन की विद्युत, यांत्रिक, वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था, दृश्य-श्रव्य, ध्वनिक, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली और सुरक्षा अवसंरचना बिल्कुल पुरानी है और इसे आधुनिक बनाने की आवश्यकता थी।
सुरक्षा सरोकार: 93 साल पुरानी इस इमारत में अपनी संरचनात्मक मजबूती स्थापित करने के लिए समुचित दस्तावेजीकरण और मानचित्रण का अभाव है। चूंकि इसकी संरचनात्मक मजबूती को स्थापित करने के लिए बेधन परीक्षण नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि वे संसद के कामकाज को गंभीर रूप से बाधित कर सकते हैं, इसलिए इस भवन को भूकंपरोधी प्रमाणित नहीं किया जा सकता है। यह विशेष रूप से चिंता का विषय है क्योंकि दिल्ली का भूकंप जोखिम गुणॉक भवन निर्माण के समय के भूकंपीय क्षेत्र- II से भूकंपीय क्षेत्र- IV में स्थानांतरित हो गया है, जिसके जोन-V में बढ़ जाने की आशंका है।
कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र: कार्यक्षेत्र की बढ़ती मांग के साथ, आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप खराब गुणवत्ता वाले और संकीर्ण कार्यस्थल बने। स्थान की लगातार बढ़ती हुई मांग को समायोजित करने के लिए, मौजूदा कार्यक्षेत्र के भीतर उप-विभाजन बनाए गए, जिससे कार्यालय में भीड़भाड़ हो गई।