परिवहन क्षेत्र में क्रांति लाएगा राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, जल्द शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट

नई दिल्ली: जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल-डीजल) से चलने वाली गाड़ियों से निकलने वाले धुंए से होने वाले पर्यावरण नुकसान को कम करने के लिए सरकार प्राकृतिक ईंधनों का विकल्प तलाश रही है. वह न केवल हमारे आसपास में उपलब्ध प्राकृतिक वस्तुओं को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करके परिवहन क्षेत्र में बदलाव लाना चाहती है, बल्कि उसने इस पर अमल भी शुरू कर दिया है. वैकल्पिक ईंधन के तौर पर बिजली के इस्तेमाल से चार्ज होने वाली बैटरी के माध्यम से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है.

इसके साथ ही, वह कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी), कम्प्रेस्ड बायोमीथेन गैस (सीबीजी) और फ्लेक्स फ्यूल के अब वह ग्रीन हाइड्रोजन अथवा हरित हाइड्रोजन का परिवहन क्षेत्र में इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर काम कर रही है. इसके लिए उसने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनएचएचएम) की शुरुआत कर दी है. इसके तहत बसों, ट्रकों, कारों, तिपहिया और दोपहिया वाहनों में हाइड्रोजन के इस्तेमाल चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की जल्द ही शुरुआत की जाएगी. केंद्र सरकार की ओर से इसके लिए राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश भी दे दिए गए हैं. सरकार का यह कदम परिवहन क्षेत्र के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है.

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन क्या है.

भारत में हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन और इस प्राकृतिक ईंधन के विदेश निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन कार्यक्रम की शुरुआत 15 अगस्त 2021 को की गई है. इस मिशन के माध्यम से सरकार ईंधन के तौर पर हरित हाइड्रोजन की मांग में वृद्धि लाने के साथ-साथ इसके उत्पादन, इस्तेमाल और निर्यात को प्रोत्साहित करेगी. इतना ही नहीं, इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन और इस्तेमाल का समर्थन करने के लिए राज्यों और इससे संबंधित क्षेत्रों की पहचान उनका विकास किया जाएगा.

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत में करीब 125 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने का है. इसके साथ ही, उसने हर साल करीब कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इतना ही नहीं, इस मिशन के जरिए भारत में करीब 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर 6 लाख नौकरियां सृजित की जाएंगी. इसके अलावा, सरकार का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल-डीजल) के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी लाने के साथ-साथ सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में करी 50 मीट्रिक टन की कमी लाना है.

2025-26 में 496 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार

केंद्रीय नवीन नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि हरित हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए बनाई गई योजना पर खर्च करने के लिए वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में करीब 496 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही, सरकार ने परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं.

हाइड्रोजन से चलेंगी गाड़ियां

मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए पायलट प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत 14 फरवरी, 2024 को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. बयान में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रोलाइजर की गिरती लागत के साथ उम्मीद यह की जा रही है कि हरित हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन आने वाले कुछ सालों में सड़कों पर नजर आने लगेंगे.

जल्द शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट

मंत्रालय की ओर से उम्मीद यह भी जाहिर की जा रही है कि आने वाले दिनों में हरित हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों के क्षेत्र में तेजी से आर्थिक और तकनीकी प्रगति होने की संभावना है. इन्हीं बातों के मद्देनजर मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत अन्य पहलों के साथ-साथ परिवहन क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन को हरित हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के साथ बदलने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की जल्द ही शुरुआत करेगा.

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