
फर्जी सर्टिफिकेट को लेकर महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर जिस तरह ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई, वह नजीर बन गया है। लेकिन मप्र में इस कार्रवाई का कोई असर पड़ेगा, ऐसा लगता नहीं है। क्योंकि मप्र में फर्जी सर्टिफिकेट पर काम करने वालों की भरमार है। आलम यह है कि अगर कभी किसी के खिलाफ शिकायत हो भी जाती है तो जांच में ही उसकी पूरी नौकरी गुजर जाती है। यानी मप्रमें फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करने वालों की बहार ही बहार है।
ऐसा ही एक मामला नर्मदापुरम जिले के केसला ब्लाक में देखने को मिला जहां एक महिला शिक्षिका 1998 से जाली जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रही है। जिसमें महिला शिक्षिका उपजाति वर्मा को छत्री अनुसूचित जनजाति बताया गया है। उक्त जाति प्रमाण पत्र तहसीलदार सोहागपुर द्वारा जारी किया गया था। लेकिन 98 से अभी तक कोई भी कार्रवाई उक्त महिला शिक्षिका के ऊपर नहीं की गई।
डिजिटल जाति प्रमाण पत्र मांगने पर हुआ खुलासा
सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग नर्मदापुरम द्वारा बबीता वर्मा सहायक अध्यापक एकीकृत माध्यमिक शाला पांडरी आदिवासी विकासखंड केसला को कई बार पत्र जारी कर कहां कि डिजिटल जाति प्रमाण पत्र सक्षम अधिकारी के माध्यम से प्राप्त कर MPTAAS के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षक प्रोफाइल प्रस्तुत करें। ताकि आपकी नवीन शिक्षण संवर्ग में नियुक्ति /संविलियन की कार्रवाई की जा सके। लेकिन बबीता वर्मा सहायक अध्यापक अभी तक डिजिटल जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया। सूटों से मेरी जानकारी के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि बबीता वर्मा का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है।
जनपद सीईओ ने एसडीएम सुहागपुर को लिखा स्मरण पत्र
आदिवासी ब्लॉक केसला के जनपद सीईओ एस सी अग्रवाल एसडीएम सुहागपुर को स्मरण पत्र लिखकर बताया कि श्रीमती बबीता वर्मा सहायक अध्यापक एकीकृत माध्यमिक शाला पांडरी के विरुद्ध संबंधित जांच हेतु संबंधित जाति प्रमाण को सत्यापित करने को कहा। जिसमें सहायक आयोग जनजाति कार्य विभाग narmadapuram का पत्र क्रमांक 65/3.1.2025 का हवाला दिया गया। इसमें बताया गया है संबंधित कर्मचारियों द्वारा नियुक्ति के दौरान आपके अधिनस्थ तहसीलदार सोहागपुर द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जनजाति का जारी किया गया है। जाति प्रमाण पत्र के आधार पर कार्यालय स्तर से संबंधित कर्मचारियों का अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति प्रदान 19.8. 1998 से की गई है। अधीनस्थ कार्यालय द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र का परीक्षण कराकर जाति प्रमाण पत्र में वर्णित अनुसूचित जनजाति की पुष्टि से इस कार्यालय को अवगत कराए।