550 ग्राम हैं बोरे का वजन, 580 ग्राम तक लेना उचित, गेहूं खरीदी केन्द्रों पर ठगे जा रहे हैं किसान। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक करीब 23 करोड़ 80 लाख का चूना किसानों को लग चुका हैं , अगर ऐसी चुप्पी जिम्मेदारों ने आगे भी साध रखी तो किसानों ओर नुकसान होना तय है।
कर्ज लेकर खेत में फसल लगाने के लिए बीज व उर्वरक की व्यवस्था करने। मौसम के विपरीत माहौल के बावजूद आंखों में ढेरों उम्मीद लिए खेत में हाड़-तोड़ मेहनत कर तैयार फसल की कटाई और मड़ाई कर जब किसान खरीदी केन्द्रों पर ले जा रहे हैं तो वहां मौजूद कर्मचारी उनसे बोरे के वजन के नाम पर एक क्विंटल पर करीब 400 ग्राम अधिक गेहूं की तौल करा रहा है। यदि किसान ने 100 क्विंटल गेहूं की तौल कराया तो उसे चार क्विंटल गेहूं केन्द्र को देना पड़ रहा है। यदि यह दृश्य देखना है तो माखन नगर के किसी भी केन्द्र पर चले आइए, यहां खुलेआम किसानों से अधिक गेहूं की तौल की जा रही है। हालांकि जिले के माखन नगर तहसील के केन्द्र एक बानगी मात्र है। ऐसा दृश्य सभी केन्द्रों पर देखने को मिल सकते हैं।
कर्ज से दबने और कठिन परिश्रम के बीच किए गए संघर्षों के बाद तैयार उपज को गेहूं और बोरे के निर्धारित वजन से अधिक लिए जाने से किसानों में आक्रोश है। किसान राजनारायण व पप्पू की माने तो उक्त के अलावा उनसे सैंपल के नाम से तीन से चार किलो अतिरिक्त गेहूं लिए जा रहे हैं। किसानों की माने तो अधिकांश केन्द्रों पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। यहां सांगाखेड़ा खुर्द सोसायटी पर मिले गेहूं खरीदी केंद्र प्रभारी गिरवर सिंह ने बताया कि किसानों से 50.800 किग्रा लेने के लिए ऊपर से ही आदेश मिले हैं। उधर इस संबंध में किसान नेता उदय पांडे ने बताया कि किसी भी किसान से 400 ग्राम अधिक गेहूं तौलने का कोई आदेश नहीं है। लेकिन फिर भी किसानों से अधिक गेहूं लिया जा रहा है। वही सोसायटी किसानों से सैंपल के नाम तीन किलो गेहूं अलग से ले रही है। मैने इसकी शिकायत कई बार कर चुका हूं। लेकिन कोई अधिकारी कार्रवाई ही नहीं करना चाहते हैं और किसान लुट रहे हैं।
जिले में अभी तक 278394 लाख क्विंटल की खरीदी
अगर हम जिले की बात करे तो अब तक 278394 लाख क्विंटल की खरीदी 26791 किसानों से हो चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उक्त खरीदी केंद्रों पर कितने क्विंटल अधिक गेहूं किसानों से लिए गए हैं। खास है की केन्द्र पर बिकने वाले गेहूं का समर्थन मूल्य 2600 रुपए हैं। ऐसे में कितने रुपए के गेहूं समिति ने किसानों से अब तक लिए हैं। इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल नहीं है।