Denvapost और अन्य मीडिया संस्थानों ने उठाई आवाज
पिछले एक सप्ताह से Denvapost मूंग खरीदी केंद्रों पर चल रही अनियमितताओं को उजागर कर रहा है। सेवा सहकारी समिति बहारपुर और आदिदेव वेयरहाउस में हो रही गड़बड़ियों को लेकर सबसे पहले Denvapost ने अपने पाठकों को सूचित किया। इन केंद्रों पर बड़े पैमाने पर अनियमितता, वजन में हेराफेरी और किसान हितों की अनदेखी के आरोप सामने आए हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब MPWLC की प्रबंधक श्वेता पवार ने इन गड़बड़ियों की शिकायत की, तो उन्हें पुरस्कृत करने के बजाय स्थानांतरित कर दिया गया। यह कदम एक ईमानदार अधिकारी के मनोबल को तोड़ने जैसा है। Denvapost ने इस खबर को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिससे मामले को लेकर लोगों में चर्चा और तीव्र हो गई।
इस मुद्दे पर अन्य मीडिया संस्थानों ने भी अपनी भूमिका निभाई है। अग्निवाण ने 18 जुलाई 2025 को अपने सांध्य संस्करण में “महफूज नहीं हैं ईमानदार अधिकारी, इनाम के बदले मिल रही सजा” शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित कर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। वहीं, दैनिक भास्कर ने 19 जुलाई 2025 को नर्मदापुरम एडिशन में माखननगर खरीदी केंद्र की अनियमितताओं पर विस्तार से रिपोर्ट प्रकाशित कर भ्रष्टाचार को उजागर किया है।
इन रिपोर्टों ने साबित कर दिया है कि मीडिया आज भी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, जो जनता के हितों की रक्षा करने में अपनी भूमिका निभा रहा है। लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या सिस्टम में ईमानदार अधिकारी सुरक्षित हैं?