निशुल्क सामूहिक विवाह की तैयारियां जारी, 39 वें वर्ष में होगा आयोजन
इटारसी। सामाजिक समरसता और कुरीतियों के खात्मे को लेकर श्री देवल मंदिर काली समिति 39 वें वर्ष में 17 दिसंबर को श्री राम विवाह एवं निश्शुल्क सामूहिक विवाह का आयोजन करेगी। अयोध्या, ओरछा और इटारसी में श्री पंचमी के विशेष मुहुर्त में एक साथ राम विवाह होता है। अभी तक 7 जोड़ों का पंजीयन हो गया है, समिति लगातार पंजीयन कर रही है।
देवल मंदिर में राम विवाह की शुरूआत 38 साल पहले हुई थी। साल 1984 में पहली बार राम विवाह एक जोड़े के साथ शुरू हुआ और अब तक करीब 2500 से ज्यादा जोड़ो का विवाह निश्शुल्क सम्पन्न हो चुका है। खास बात यह है कि इतने बड़े आयोजन के लिए यहां कोई कमेटी या पदाधिकारी नहीं हैं, बल्कि राम काज के लिए सारे सेवक बनकर काम करते हैं। समिति सदस्य जयप्रकाश करिया पटेल ने बताया कि देवल मंदिर के महंत ब्रह्मलीन दामोदर दास और सहारनपुर के महंत ब्रह्मलीन सुंदरदास जी रामायणी के सहयोग से साल 1984 में पहली बार राम विवाह एक जोड़े से शुरू कराया था। पहली बारात रामजानकी छोटा मंदिर से निकाली गई थी। दो साल सिर्फ राम विवाह हुए, इसके बाद एक जोड़े से सामूहिक विवाह की शुरूआत हुई। आयोजन में चित्रकूट, अयोध्या, वृंदावन, ऋषिकेश, ओरछा, सहारनपुर समेत पूरे देश से साधु-संतो, विद्धान का समागम होता है। द्वारकाधीश बड़ा मंदिर से दूल्हे राजा भगवान राम के साथ भव्य बारात लेकर जनकपुरी देवल मंदिर पहुंचती है। यहां हिन्दू रीति से सभी विवाह कराया जाता है। समिति के सहयोग से सभी जोड़ों को गृहस्थी का सामान, उपहार, कपड़े एवं अन्य सामग्री भेंट की जाती है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का विवाह श्री पंचमी पर हुआ था, इसे विवाह पंचमी भी कहते हैं। इस पंचमी पर रामलला की जन्मस्थली अयोध्या, बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा और इटारसी में श्री देवल मंदिर काली समिति श्री राम विवाह एवं निशुल्क श्री राम विवाह का आयोजन परंपरानुसार कर रही है।
17 दिसंबर को होगा विवाह
इस वर्ष श्रीराम विवाह महोत्सव एवं निश्शुल्क सामूहिक विवाह उत्सव 17 दिसंबर को होने जा रहा है। आयोजन की तैयारियां चल रहीं हैं। पुरानी इटारसी को जनकपुरी के रूप में दुल्हन की तैयार सजाया जा रहा है। 17 दिसंबर को गोधूलि बेला में श्री द्वारिकाधीश मंदिर से शाम 6 बजे श्री राम जी की बरात पुरानी इटारसी के देवल मंदिर जनकपुरी के लिए प्रस्थान करेगी।
रात 12 बजे होगा पाणिग्रहण संस्कार
श्री राम विवाह उत्सव सात दिवसीय है। 12 दिसंबर रात 8 बजे रामलीला मंचन, 13 दिसंबर रात 9 बजे सुंदरकांड, 14 दिसंबर रात 8 बजे अखंड सीताराम कीर्तन, 15 दिसंबर सुबह 9 बजे रामसत्ता, 16 दिसंबर सुबह दस बजे भगवान राम का मंडपाच्छादन एवं सत्यनारायण कथा होगी। मुख्य समारोह 17 दिसंबर को सुबह 9 बजे कन्या भोज एवं भंडारा, शाम 7 बजे आध्यात्मिक प्रवचन, रात 9 बजे देवी जागरण, रात 10 बजे बरात स्वागत, जयमाला एवं प्रीतिभोजक, पाणिग्रहण संस्कार एवं 18 दिसंबर को विदाई समारोह होगा।
देश भर से आएंगे संत
भगवान राम की करीब 3 किमी. लंबी बारात में हाथी, घोड़े, बग्गी, दिलदिल घोड़ी, अखाड़े, रामसखियां, बैंड पार्टियां आकर्षण का केन्द्र रहती हैं। एक बग्गी में राम दरबार सजाया जाता है, साथ में सभी दूल्हे राजा बारात लेकर जनकपुरी देवल मंदिर बारात लेकर पहुंचते हैं। यहां राजा राम और बारात की अगवानी होती है। मंडप में नवयुगल भगवान राम एवं सीता के साथ एक ही मंडप में फेरे लेते हैं। इस अनूठे आयोजन में देश भर के अखाड़ों से जुड़े साधु-संत एवं विद्वान शामिल होते हैं। इस परंपरा की शुरूआत महंत पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने कराई थी। पूरे आयोजन की बागडोर करिया पटेल एवं युवाओं की टीम संभालती है। हर गांव-शहर के लोग इस आयोजन में सहभागी बनते हैं। गांव-गांव से भंडारे के लिए अनाज एवं दानराशि एकत्र की जाती है। समिति पूरी गृहस्थी का सामान, उपहार एवं जेवरात सभी जोड़ों को भेंट करती है।