
शासन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने व महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण किया है, तब से महिलाओं की स्थानीय शासन में भागीदारी बढ़ी है लेकिन नर्मदापुरम जिले की अधिकतर ग्राम पंचायतों में मुख्य रूप से सरपंच पति कामकाज की बागडोर संभाले हुए हैं। माखननगर जनपद पंचायत के अंतर्गत 64 ग्राम पंचायतों में 35 से अधिक महिला सरपंच हैं लेकिन यहां महिला सरपंच का नहीं बल्कि सरपंच पति का राज चलता है, सरपंच पति पंचायत के हर काम में शामिल रहता है। माखननगर के कई ग्राम पंचायतों में सरपंच पति की व्यवस्था से ग्रामीण भी नाराज हैं, ऐसे में उनसे ग्राम विकास की कैसे अपेक्षा की जा सकती है। यह महत्वपूर्ण विषय है। मनरेगा, सड़क निर्माण, नाली निर्माण सहित अन्य कार्यों में महिला सरपंच की जगह उनके पति काम करवाते हैं। कोई ग्रामीण जब अपने काम से पंचायत पहुंचते हैं तो वहां भी सरपंच के बजाय सरपंच पति मिलता है।
मदद की आड़ में महिला सरपंच से अधिकार छीन रहे माखननगर जनपद की अधिकतर ग्राम पंचायतों में जब ग्रामीणों से पूछा गया कि उनका सरपंच कौन है तो ग्रामीणों ने महिला सरपंच के बजाय उनके पति का नाम लिया। ग्राम पंचायतों में यह पद सरपंच से अधिक प्रभावी है। पंचायत का काम उनके पति करते हैं। महिला सरपंचों की मदद की आड़ में सरपंच पति उनका अधिकार छीनने में लगे हुए हैं। ग्राम पंचायतों में महिलाओं की आरक्षित सीट पर पुरुष चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए वे अक्सर अपनी पत्नी को चुनाव में खड़ा कर देते हैं। जीतने के बाद अपना दबदबा कायम रखते हैं। वे अपनी पत्नी का मोहरे के रूप में इस्तेमाल करते हैं।