रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में 9 गांव शामिल किए गए हैं, जिनमें झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर, कैरी चौका, दांतखो, साजौली और जैतपुर के गांवों का रकबा 26.947 वर्ग किलोमीटर है। हालांकि, इन गांवों को कोर क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया है। रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से न केवल बाघों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी ईको-टूरिज़्म के माध्यम से रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। यह क्षेत्र स्थानीय निवासियों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में सामने आएगा, क्योंकि टाइगर रिजर्व बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
भोपाल की टाइगर राजधानी के रूप में पहचान होगी मजबूत
यह टाइगर रिजर्व बनने से भोपाल की पहचान ‘टाइगर राजधानी’ के रूप में और मजबूत होगी। मध्य प्रदेश में अब तक 785 बाघ हैं, जो 2022 की गणना के अनुसार प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 2018 में यह संख्या 526 थी, और अब बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अब राज्य को भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से बजट प्राप्त होगा, जिससे बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में और अधिक सुधार संभव होगा।
बाघ संरक्षण के लिए अहम कदम
मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व के मामले में बाघों के संरक्षण के साथ-साथ उनके आवासों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। वर्तमान में प्रदेश में सात प्रमुख टाइगर रिजर्व हैं—कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी, और नौरादेही। अब रातापानी और माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व बनने से यह संख्या बढ़कर 9 हो गई है, जो प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।