हजारों निवेशकों के साथ हुई ठगी मामले की निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि पुलिस में शिकायत करने वाले निवेशकों से समझौता के आधार पर धोखाधड़ी करने वाले को-ऑपरेटिव सोसाइटी ने खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करवा ली है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किए हैं।
भोपाल निवासी सौरभ गुप्ता की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी का स्थानीय कार्यालय भोपाल में था। को-ऑपरेटिव सोसाइटी में उसने एफडीआर के रूप में निवेश किया था। को-ऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा उसके सहित हजारों निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर उनकी रकम हजम कर ली गई, जिसके खिलाफ उसने थाना पिपलानी में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस ने सिर्फ 15 शिकायतकर्ता की रिपोर्ट पर को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की थी। उनकी शिकायत पर निवेशकों के संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं की गई। कंपनी ने पूरे देश में चार लाख निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है।
याचिका में कहा गया था कि एफआईआर दर्ज करवाने वाले से कंपनी ने समझौता कर लिया। समझौते के आधार पर दर्ज एफआईआर निरस्त करने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। समझौता होने पर हाईकोर्ट ने दर्ज एफआईआर निरस्त करने के आदेश जारी किए थे। याचिका में कहा गया था कि हजारों निवेशकों के साथ कम समय में रकम दोगनी करने के नाम पर ठगी की है। एफआईआर निरस्त होने के कारण लगभग 1,000 हजार करोड़ रुपये का निवेश समाप्त हो गया है। याचिका में मांग की गई थी कि पूरे प्रकरण की जांच निष्पक्ष एजेंसी या सीबीआई को सौंपी जाए। याचिका में डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह विभाग, पुलिस अधीक्षक भोपाल, को-ऑपरेटिव सोसाइटी व उनके पदाधिकारियों सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया था।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि सभी पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि पीड़ितों द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर तथा उनके स्टेट्स के संबंध में जानकारी पेश करें। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रविन्द्र गुप्ता ने पैरवी की।