
मंत्रालय
कैबिनेट बैठक के बाद जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि जिन उपक्रमों के अध्यक्ष का कार्यभार विभागीय अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिवों के पास था, उनका कार्यभार अब मंत्रियों को सौंपा जाएगा। यह निर्णय राज्य में प्रशासनिक सुधार और निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज करने के उद्देश्य से लिया गया है।
ऐसे उपक्रम जहां नियमों में अध्यक्ष की नियुक्ति या मनोनयन के लिए विशेष व्यवस्था है, वहां अध्यक्ष पद का प्रभार उसी प्राधिकारी के पास रहेगा, जिसका उल्लेख नियमों में है। अन्य उपक्रमों में मंत्रियों को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। इस फैसले से राज्य की प्रशासनिक और राजनीतिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। मंत्रियों को दी गई जिम्मेदारियों से निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है, और साथ ही राज्य के विकास कार्यों में गति लाई जा सकेगी।
राजनीतिक नियुक्तियां टली
बता दें, प्रदेश के विभिन्न निगम मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों का लंबे से इंतजार किया जा रहा था। इस फैसले से इनमें नियुक्तियों का रास्ता ताक रहे भाजपा नेताओं को निराशा हो सकती है। जानकार सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों को प्रभार सौंपने का फैसला अभी अस्थाई तौर पर किया गया है। राजनीतिक नियुक्तियों के बाद मंत्रियों से निगम मंडलों का प्रभार वापस लिया जा सकता है।