Mp Lok Sabha Election: राजगढ़ कांग्रेस का गढ़ रहा है, अब तक हुए 14 चुनावों में पार्टी ने आठ बार जीत हासिल की


मप्र लोकसभा चुनाव।

राजस्थान की सीमा से लगे मप्र के राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। ये गुना से दो, राजगढ़ से पांच और आगर-मालवा जिले (परिसीमन में शाजापुर) से एक सीट है, जो ग्वालियर-चंबल, मध्यक्षेत्र और मालवा अंचल को समाहित करती हैं। राजा -रजवाड़ों का गढ़ और उनके विजय की रणभूमि रहा है राजगढ़ संसदीय सीट।

1951-52 में राजगढ़-शाजापुर सीट थी

राजगढ़ और शाजापुर 1951-52 में संयुक्त सीट थी। 1957 और 1962 में राजगढ़ संसदीय क्षेत्र रहा। 1967 और 1971 में यह क्षेत्र शाजापुर में शामिल कर लिया गया था। 1977 में राजगढ़ पुनः लोकसभा क्षेत्र के मानचित्र पर आया।

नरसिंहगढ़ रियासत के पूर्व शासक भानुप्रताप सिंह 1962 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे, उन्होंने कांग्रेस के मध्य भारत के प्रमुख, वरिष्ठ नेता लीलाधर जोशी को पराजित किया था। 1977 और 1980 में भालोद और जनता पार्टी से पंडित वसंत कुमार निर्वाचित हुए थे। 1984 में प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख दिग्विजय सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार को रिकॉर्ड मतों से पराजित किया था। इसके बाद 1989 में भाजपा के प्यारेलाल खंडेलवाल ने दिग्विजय सिंह को पराजित कर 1984 का हिसाब बराबर किया था। फिर 1991 में दिग्विजय सिंह ने भाजपा के प्यारेलाल खंडेलवाल को पराजित कर दिया था।

प्यारेलाल खंडेलवाल, कैलाश जोशी और नीतीश भारद्वाज भी हारे

1996 में दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से उम्मीदवार थे। उन्होंने भाजपा के प्यारेलाल खंडेलवाल को पराजित किया था। कांग्रेस के इस किले को भेदने के लिए भाजपा ने वरिष्ठ और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन जोशी भी यहां से पराजित हो गए थे। 1998 में भाजपा ने महाभारत में कृष्ण का किरदार अदा करने वाले नीतीश भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया, भारद्वाज को क्षेत्र में जनता ने काफी सम्मान दिया पर वोट नहीं दिए और कांग्रेस के लक्ष्मणसिंह विजयी रहे थे।

लक्ष्मण सिंह भाजपा में आ गए

राजगढ़ में भाजपा विजय तो प्राप्त नहीं कर सकी, पर लक्ष्मण सिंह पर विजय प्राप्त कर ली और वे भाजपा में शामिल हो गए। 2004 में लक्ष्मणसिंह भाजपा से चुनाव लड़े, उन्होंने कांग्रेस के शंभूसिंह को पराजित किया था। 2009 में कांग्रेस के नारायणसिंह ने भाजपा के लक्ष्मणसिंह को पराजित कर दिया था। 2014 और 2019 में भाजपा के रोडमल नागर ने कांग्रेस उम्मीदवार को पराजित कर रिकॉर्ड मतों से विजय प्राप्त की थी। 1994 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस से लक्ष्मणसिंह विजयी रहे थे।

मिलते जुलते नामों के प्रत्याशी लड़े चुनाव

चुनाव में मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए प्रमुख उम्मीदवारों से मिलते जुलते नामों के उम्मीदवार राजगढ़ से चुनाव मैदान में खड़े होते रहे हैं। 1998 में भाजपा के कैलाश जोशी खड़े थे, वहीं, एक निर्दलीय उम्मीदवार कैलाश जोशी गीताचरण भी चुनाव मैदान में थे। 2004 में भाजपा से लक्षमणसिंह चुनाव मैदान में थे तब लक्ष्मणसिंह लिम्बोदा और लक्ष्मणसिंह सेमली मैदान में थे। 2009 में लक्ष्मण वर्मा चुनाव मैदान में थे। इस तरह से मिलते जुलते नाम के उम्मीदवार यहां से खड़े होते रहे हैं।

इस बार 15 प्रत्याशी मैदान में

2024 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्र से 15 उम्मीवार चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस से दिग्विजय सिंह, भाजपा से मौजूदा सांसद रोडमल नागर और बसपा के राजेंद्र सूर्यवंशी के अलावा 12 अन्य उम्मीदवार हैं। दिग्विजयसिंह के मैदान में रहने से चुनाव काफी रोचक हो गया है।

रोचक जानकारी:-

    • सबसे कम मतों से जीत 1991 में दिग्विजय सिंह की रही। वे 1470 मतों से जीते थे। जबकि सर्वाधिक मतों से जीत 2019 में भाजपा के रोडमल नागर की मिली थी। वे 4,31,019 से विजयी रहे थे।
    • सर्वाधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में 1996 में 24 और सबसे कम उम्मीदवार 1977 में 3 चुनाव मैदान में थे।
    • राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान 2019 में 74.39 प्रतिशत और सबसे कम मतदान 1957 में 38.27 प्रतिशत रहा था
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