Mp Election 2023 : चुनाव प्रचार से गायब हुए फोटो वाले लोगो, कारों ने ली ट्रैक्टर की जगह

चुनाव प्रचार से गायब हुए फोटो वाले लोगो, कारों ने ली ट्रैक्टर की जगह अब स्टार प्रचारकों पर हो रहा करोड़ों खर्च 

नर्मदापुरम/दीपक शर्मा : आगामी विधानसभा निर्वाचन के लिए लगभग प्रत्याशियों के नामों की घोषणा हो चुकी है और प्रत्याशियों ने नामांकन फार्म जमा करना भी शुरू कर दिया है। साथ ही चुनावी जनसंपर्क भी शुरू हो गया हैं। नामांकन वापसी के बाद शेष रहे प्रत्याशियों का प्रचार-प्रसार भी शुरू हो जाएगा। यूं तो चुनाव प्रसार में वैसे तो घर-घर जाकर संपर्क करना, बैनर, फ्लेक्स लगवाकर वोट देने की अपील और समाचार पत्रों में विज्ञापन शामिल है, लेकिन बीते वर्षाें के चुनावों से अब उम्मीदवार प्रचार-प्रसार में अब आधुनिक तकनीक के रूप में सोशल मीडिया मजबूत माध्यम बनकर उभरा हैं।

बता दें कि आज तमाम तरह के प्रचार-प्रसार माध्यमों की तुलना में सोशल मीडिया वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर आदि का उपयोग ज्यादा किया जा रहा है। उम्मीदवारों का मानना है कि आज लोग सोशल मीडिया में ज्यादा सक्रिय है। इसलिए मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचाने, उनसे जुड़ने के लिए सोशल मीडिया सबसे सशक्त माध्यम से बन गया है।

पहले ट्रैक्टर,बैलगाड़ियों से होता था प्रचार

मतदान केन्द्र दूर होने की वजह से पोलिंग एजेंट बनाने के साथ ही मतदाताओं के लिए महंगी गाड़ियों की व्यवस्था करनी पड़ती थी। पहले उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ ट्रैक्टर से ही प्रचार-प्रसार में निकल जाते थे, जिनकी जगह अब कीमती गाड़ियों ने ली है। जिसे प्रत्याशी चुनाव समय के लिए किराए में ले लेते हैं। पहले प्रत्याशी अपने कामों, पार्टी की घोषणाओं को मतदाताओं के सामने रखकर अपने पक्ष में मतदान की अपील करते थे, लेकिन इसकी जगह अब प्रत्याशी या उनसे जुड़े राजनैतिक दल फिल्मी हस्तियों को बुलाकर प्रचार-प्रसार करा रहे

दीवारों पर लिखित प्रसार अब हुई गायब

बुजुर्ग मतदाताओं के अनुसार बरसों पहले उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ बैलगाड़ी में सवार होकर प्रचार-प्रसार के लिए निकला करते थे। कई बार प्रचार करते-करते काफी दूर निकल आने के कारण वे उसी गांव में रात रूक जाते थे और रात्रि चौपाल लगाकर अपने वादे, आमजनों के सामने रखते थे। दीवारों पर उम्मीदवारों के समर्थन में तरह-तरह के नारे लिखे जाते थे, जो अब गायब हो गए हैं। पूरा शहर प्रत्याशियों के चुनाव चिन्हों वाले रंग-बिरंग पतंगों से सजा नजर आता था अब इनकी जगह बड़े-बड़े फ्लेक्सों, बैनरों ने ली है।

ग्राम बछवाड़ा बुजुर्ग के निवासी राम बगस जो पेशे से किसान हैं। राम बगस बताते हैं वो बीते 40 वर्ष से चुनावों का दौर देख रहे हैं। पहले चुनावों में प्रत्याशी चाबी के छल्ले, फोटो वाले लोगो, पंपलेट बांटकर घर-घर प्रचार करने आते थे, साथ ही पहले चुनावों में प्रत्याशी अपने कामों का बखान करते थे उनके दलों द्वारा किए गए कामों को बताकर आगे भी विकास के दावे करके वोट मांगे जाते थे। लेकिन अब स्टॉर प्रचारकों को बुलाकर बड़े-बड़े रोड शो करके वोट बटोरने का प्रयास किया जाता है। बुजुर्ग मतदाता रामस्नेही यादव के अनुसार पहले मतदाता आसानी से प्रत्याशियों के बहकावे में आ जाता था, लेकिन अब मतदाता जागरूक हो गया है। जिससे वह आसानी से प्रत्याशियों के चुनावी वादों के फेर में नहीं पड़ता।

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