Mp Election 2023 : आप की रानी अग्रवाल, 2018 में भाजपा छोड़ आप में आईं और मेयर बन चमकीं, इस बार विधानसभा की कमर कसी

पिछले चुनाव में तीसरे नंबर पर थी रानी
2018 के चुनाव में भी सिंगरौली में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था, सिंगरौली विधानसभा क्षेत्र में डाले गए वैध मतों का भाजपा के राम लल्लू वैश्य को 24.63, कांग्रेस की रेनू शाह को 22.13 और आप पार्टी की रानी अग्रवाल को 21.59 प्रतिशत मत मिले थे।
विधानसभा में अपनी मजबूत स्थिति को देख रानी अग्रवाल 2022 में सिंगरौली नगर निगम के चुनाव में महापौर के लिए खड़ी हुईं और विजयी हुई थी। महापौर चुनाव में रानी अग्रवाल को 34,585, कांग्रेस के अरविंद सिंह चंदेल को 25,031 और भाजपा के चंद्रप्रताप विश्वकर्मा को 25,233 मत प्राप्त हुए। इस तरह पांच पार्षदों के साथ रानी महापौर पद के लिए 9,000 से अधिक मतों से विजयी हुईं। रानी अग्रवाल के उत्साह में वृद्धि होना स्वाभाविक था। सिंगरौली में पिछले चुनाव में रानी अग्रवाल ने अच्छा खासा प्रदर्शन किया था।

2013 में वैश्य ने अर्जुन सिंह के दामाद राजा बाबा को हराया था

2013 में भाजपा के राम लल्लू वैश्य से सिंगरौली रियासत के भुवनेश्वर प्रसाद सिंह राजा बाबा हार गए थे। राजा बाबा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह के दामाद थे। उन्हें सिंह की बेटी वीणा सिंह दी थी। वैसे वीणा सिंह भी सीधी से निर्दलीय लोकसभा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ चुकी हैं, पर उन्हें सफलता नहीं मिली थी।

2018 में भाजपा छोड़ आप में गई थीं

रानी अग्रवाल बरगवां की रहने वाली हैं। उनके पति प्रेम अग्रवाल का लकड़ी का कारोबार है। रानी के दो बेटे हैं और दोनों विवाहित हैं। रानी 12वीं तक पढ़ी हैं और जमीनी कार्यकर्ता रही हैं। समाजसेवा में भी जुटी रही हैं। पहले सरपंच फिर जिला पंचायत की सदस्य बनीं। रानी ने अपना राजनैतिक कैरियर भाजपा से आरंभ किया था। वे 2018 में भाजपा छोड़ कर आप में शामिल हो गई थीं।

प्राकृतिक संपदा से संपन्न सिंगरौली है ऊर्जा राजधानी

प्रदेश का पचासवां जिला सिंगरौली, जो सीधी जिले में से कुछ हिस्सा लेकर बनाया गया था। विंध्याचल प्रदेश का सिंगरौली जिला प्राकृतिक संपदा से आच्छादित, वनों की प्रचुरता के लिए पहचाना जाता है। यहां के वन घनेपन के लिए जाने जाते हैं। प्रदेश की ऊर्जा राजधानी सिंगरौली मानी जाती है। यहां ताप विद्युत निगम, एनटीपीसी, हिंडाल्को और कोल इंडिया के लिए कोयले का भंडार है। आजादी से पहले यह रीवा राज्य की एक रियासत रही है।

चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के अजीब नाम

1957 से पिछले चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के नामों को देखें तो कुछ रोचक नाम देखने में आए जैसे—मटकुलाल, बेचू, कालीचरण, लालपति, तेजबली, सुखीराम, जवाहरलाल, बाबू नंदन और गणपति जैसे नाम प्रमुख हैं।

सिंगरौली सीट की रोचक जानकारी

  • तीन बार भाजपा के रामचरित्र विजयी और दो बार पराजित हुए थे।
  • सबसे कम मतदान 1957 में 27.4 प्रतिशत हुआ था और सर्वाधिक मतदान 2018 में 67. 53 प्रतिशत हुआ था।
  • सबसे कम मतों से जीत 1980 में भाजपा के बंशमणि प्रसाद की 419 मतों से हुई थी। इसी तरह सबसे ज्यादा मतों से विजयी भाजपा के राम लल्लू वैश्य की वर्ष 2008 में 23,090 मतों से हुई थी।

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