Bhopal News : हाईकोर्ट में अंबेडकर प्रतिमा लगाने को लेकर एमपी कांग्रेस ने दिल्ली में की बैठक, बड़े आंदोलन की तैयारी

मध्यप्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ अंबेडकर प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस मामले को काफी गंभीरता से लिया है। और मामले को दिल्ली तक पहुंचा दिया है। मंगलवार को कांग्रेस के सभी बड़े नेता दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस के नेताओं और ग्वालियर के नेताओं के बीच बड़ी बैठक हुई है। बैठक में बड़ा फैसला लिया गया कि ग्वालियर हाईकोर्ट में डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर कांग्रेस बड़ा आंदोलन करेगी। पूरे प्रदेश में एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी।जिले में धरना प्रदर्शन किया जाएगा और ग्वालियर संभाग में बड़ी जनसभा होगी।

प्रदेश के ये बड़े नेता पहुंचे दिल्ली

कांग्रेस कार्यालय दिल्ली में प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने मामले को लेकर एमपी के नेताओं की बैठक ली है। बैठक में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, उप नेता प्रतिपक्ष हेमन्त कटारे, विधायक जयवर्धन सिंह, विधायक फूल सिंह बरैया चंबल संभाग के कांग्रेस के नेता शामिल हुए।

लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला

बैठक के बाद प्रेसवार्ता में प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने कहा कि ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की प्रक्रिया पहले ही अनुमति सहित पूरी हो चुकी थी। बावजूद इसके, यदि भाजपा-आरएसएस के दबाव में यह कार्य रोका गया है तो यह न केवल निंदनीय है बल्कि लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला है। सोची-समझी साजिश रही है कि बाबा साहेब को विवादों में घसीटा जाए। लेकिन कांग्रेस पार्टी का रुख पहले भी स्पष्ट था और आज भी है कि बाबा साहेब की प्रतिमा वहीं स्थापित होनी चाहिए जहां उसका स्थान है कानून के मंदिर में।

सड़क से लेकर सदन तक निर्णायक संघर्ष

प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान निर्माण में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। अगर कानून के मंदिर यानी हाई कोर्ट परिसर में उनकी मूर्ति नहीं लगेगी, तो फिर कहां लगेगी?”हम स्पष्ट कहना चाहते हैं यदि अंबेडकर जी की मूर्ति की स्थापना में बाधाएं डाली गईं तो कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक निर्णायक संघर्ष करेगी।

एक पक्ष समर्थन और एक पक्ष विरोध में

बता दें कि ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर एक पक्ष समर्थन में और एक पक्ष विरोध में है। इसी के चलते प्रतिमा का मामला विवादित हो गए है। लोगों और राजनीतिक दल की तरह कोर्ट के वकील भी दो गुट में बंट गए है।

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