Monsoon Session:इस सप्ताह भी हंगामे के आसार, दिल्ली सेवा विधेयक होगा पेश, अविश्वास प्रस्ताव पर भी चर्चा

मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर संसद में लगातार विपक्षी दलों का हंगामा जारी है। ऐसे में मानसून सत्र का तीसरा सप्ताह भी हंगामे से भरा रहने की आशंका है। साथ ही इस सप्ताह सरकार दोनों सदनों में दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले से संबंधित विधेयक लाने की तैयारी में है। यह विधेयक दिल्ली सेवा अध्यादेश की जगह लेगा। यह विधेयक भाजपा नीत एनडीए के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का आधार बना है। 

केजरीवाल सरकार कर रही विधेयक का विरोध

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रही है। कांग्रेस व उसके सहयोगी अन्य विपक्षी दल भी संसद में इसके विरोध की घोषणा कर चुके हैं। दिल्ली से जुड़े विधेयक के अलावा केंद्र सरकार ने 13 अन्य मसौदा विधेयकों को भी सूचीबद्ध कर रखा है। लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर भी चर्चा होनी है। हालांकि अब तक इसकी तिथि तय नहीं है।

सरकार ने हंगामे के बीच ही लोकसभा से पांच विधेयकों को पारित करा लिया है। राज्यसभा ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी है। इनमें सिनेमेटोग्राफ बिल भी शामिल है। इस विधेयक को अब लोकसभा की मंजूरी मिलनी है।

 ये विधेयक हैं सरकार के एजेंडे में

जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन संशोधन विधेयक, जम्मू-कश्मीर अनुसूचित जनजाति आदेश संविधान संशोधन विधेयक, जम्मू-कश्मीर अनुसूचित जाति आदेश संविधान संशोधन विधेयक, जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक, अंतर सेवा संगठन (कमांड, कंट्रोल और अनुशासन) विधेयक, अनुसूचित जाति संविधान संशोधन विधेयक, ऑफशोर एरिया मिनरल (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) संशोधन विधेयक और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट संशोधन विधेयक।

राज्यसभा में पेश होंगे ये विधेयक

आज मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में और संशोधन करने के लिए वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को आज राज्यसभा में विचार और पारित करने के लिए पेश करेंगे। ये विधेयक लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है।  वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आज राज्यसभा में अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन के लिए अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश करेंगे।

आईआईएम की स्वायत्तता को लेकर बहस शुरू

मणिपुर हिंसा मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के व्यवधान के बीच आईआईएम अधिनियम 2017 में संशोधन विधेयक पिछले शुक्रवार को -लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि -राष्ट्रपति भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) के विजिटर होंगे। उनके पास संस्थान के कामकाज का देने, निदेशकों को नियुक्त और हटाने का अधिकार होगा। इसके बाद देश के प्रतिष्ठित बिजनेस मैनजमेंट संस्थानों की स्वायत्तता को लेकर बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस का आरोप है कि इस बिल के जरिये पीएमओ देश के बिजनेस प्रबंधन संस्थानों पर सख्त नियंत्रण और विचारधारा थोपना चाहता है।

अविश्वास प्रस्ताव लंबित रहते नीतिगत फैसले नहीं ले सकती सरकार : प्रेमचंद्रन

आरएसपी सदस्य एनके प्रेमचंद्रन ने एमएन कौल और एसएल शकधर की प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर ऑफ पार्लियामेंट को उद्धृत करते हुए कहा, जब संसद के सामने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला न हो जाए तबतक नीतिगत निर्णय से संबंधित कोई भी प्रस्ताव नहीं लाया जाना चाहिए।

विपक्ष में क्षमता हो तो सरकार के विधेयकों पर मतदान करा ले : जोशी

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने प्रेमचंद्रन की इस बात को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा विपक्ष को चुनौती दी कि यदि उसे लगता है कि उसके पास नंबर है तो सरकार के विधेयकों को मतदान में गिरा दे। उन्होंने कहा, वे अचानक अविश्वास प्रस्ताव ले आए। क्या इसका अर्थ यह है कि सरकार कोई काम न करे?

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