
नई दिल्ली/शिमला – हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार से गुरुवार तक भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका जताते हुए चार दिन का नारंगी अलर्ट जारी किया है। अधिकारियों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
20 जून से अब तक राज्य में 219 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब ₹1,988 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ है। इनमें से 112 मौतें भूस्खलन, अचानक बाढ़ और मकान ढहने जैसी आपदा घटनाओं में हुईं, जबकि 107 लोग सड़क हादसों में मारे गए। 37 लोग अब भी लापता हैं।
सड़कें और सेवाएं ठप
राज्य में रविवार तक 360 सड़कें बंद रहीं, जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग-305 का औट–सैंज खंड भी शामिल है। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 214 मार्ग बंद हैं। कुल्लू में 92 मार्ग ठप हैं। बिजली आपूर्ति बाधित होने से 145 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं, जबकि 520 जलापूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
बारिश और आपदाएं
1 जून से 10 अगस्त तक हिमाचल में 507.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 11% अधिक है। इस अवधि में 58 अचानक बाढ़, 30 बादल फटने और 53 बड़े भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं।
जिलेवार प्रभाव
मंडी में सबसे अधिक 23 मौतें और ₹11.64 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। कांगड़ा में 25, कुल्लू व हमीरपुर में 10-10 और चंबा में नौ लोगों की मौत दर्ज हुई है। कुल्लू में बिजली आपूर्ति सबसे ज्यादा प्रभावित है, जबकि मंडी में जलापूर्ति पर सबसे अधिक असर पड़ा है।
बाँध और जलाशय
भाखड़ा, पौंग, कोल, नाथपा और करछम बांध फिलहाल सुरक्षित सीमा के भीतर संचालित हो रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि तालाबों के जलस्तर और जलग्रहण क्षेत्र के मौसम पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
ताजा बारिश के आंकड़े
शनिवार रात से रविवार सुबह तक कांगड़ा में 68.4 मिमी, मुरारी देवी में 52.6 मिमी और पालमपुर में 52 मिमी बारिश दर्ज हुई। नैना देवी में शनिवार को सबसे अधिक 112.4 मिमी वर्षा हुई थी।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा,
“इस मानसून में नुकसान अभूतपूर्व रहा है। पुनर्निर्माण कार्य चौबीसों घंटे जारी है, लेकिन लोगों को खासकर भूस्खलन संभावित और नदी किनारे के इलाकों में सावधान रहना चाहिए।”