कार्रवाई हुई लेकिन मुंडेर नहीं बनी
पूर्व कलेक्टर शशांक मिश्र ने अभियान चलाकर 75 बिना मुंडेर के कुएं चिन्हित किए थे। इसके बाद पूर्व कलेक्टर कलेक्टर संजीवसिंह ने भी इस दिशा में कदम उठाए और एसडीएम को कार्रवाई के निर्देश दिए। एक हादसे के बाद पूर्व कलेक्टर मनोज पुष्प ने भी कार्रवाई के लिए निर्देशित किया, लेकिन अधिकारियों ने निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया। दस माह पहले कलेक्टर दिलीप कुमार यादव की सख्ती का असर दिखा। थानों में एक दर्जन से ज्यादा कुआं मालिकों के खिलाफ धारा 188 के तहत एफआईआर भी हुई। लेकिन एफआईआर कराने के बाद अधिकारियों ने पिछे मुड़कर नहीं देखा कि कुओं की मुंडेर बनी है या नहीं।
आंकड़ों में 94, हकीकत में 400, अब कितने पता नहीं
जिले में बिना मुंडेर वाले कुओं से होने वाली दुर्घटनाएं रोकने के लिए प्रशासन कितना गंभीर है, यह इसी से पता चलता है कि कुछ साल पहले सर्वे में जिले में कई खतरनाक कुओं को चिन्हित करने के बाद भी कुछ नहीं हो सका है। खेतों की ओर जाती पगडंडियों, राजमार्गों सहित जिले के कई मार्गों के आसपास बिना मुंडेर के कुओं की वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी है। 16 नवंबर 2016 को ग्राम देवरी में बिना मुंडेर के कुएं में कार गिरने से तीन लोगों की जान गई तो अधिकारी हरकत में आए और सर्वे कराया। सर्वे के दौरान 94 बिना मुंडेर वाले कुएं चिन्हित किए गए। हालांकि यह संख्या हकीकत में चार सौ से अधिक है। अब कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के निर्देशों के बाद एफआईआर तो हुई, लेकिन यह आंकड़ा किसी के पास नहीं है कि बिना मुंडेर के कुएं अब कितने बचे हैं?
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