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दीपक शर्मा/माखन नगर : क्षेत्र की ग्राम पंचायतों से गड़बड़ी के मामले सामने आते ही रहते है जिनमें मनरेगा में मजदूरों की जगह मशीनों से काम करवाना हो या फिर अन्य गड़बड़ी हो अधिकारियों को इनकी शिकायतें प्राप्त होती ही रहती है अब ताजा मामला ग्राम पंचायत बहारपुर से सामने आया है जहाँ वाउचर के जरिए लाखों रुपयों का भुगतान पंचायत द्वारा किया गया है जिन वाउचरो का भुगतान किया गया है उनमें से कई वाउचरो में सरपंच के सिग्नेचर तक नहीं हैं। साथ ही कई बिलों की राशि एवं भुगतान की गई राशि में भी अंतर है साथ ही पोर्टल पर दर्ज बिल क्रमांक व बिल में दर्ज बिल क्रमांक भी अलग अलग है।
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पंचायत दर्पण पोर्टल पर दर्ज भूगतान के आधार पर करीब तीन लाख से ज्यादा का भुगतान वेंडरों को किया हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से अधिकतर भुगतान बिल की जगह वाउचर लगाकर कर दिया गया। वही इन वाउचरो पर सरपंच व सचिव ने अपने साइन करना भी उचित नहीं समझा।बिल आईडी 11913086 द्वारा 23000 रुपए का पंचायत से विष्णु प्रसाद कुशवाह का भुगतान होना दर्शाया गया है लेकिन इसमे जो बिल की कॉपी अपलोड की गई है उसमें श्री राम ट्रेडर्स दर्ज है।
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इस तरह बिल आईडी 13200293 में अपलोड किए गए वाउचर की कॉपी में राशि पांच हजार रुपए मुकेश मेहरा लिखा है जबकि भुगतान धर्मेंद्र कुशवाह को 24 हजार रुपए का किया गया है।इस दिनांक को बिल जारी किया गया उक्त दिनांक भी दर्ज नही है इसी तरह बिल आईडी 12784043 एवं 12784031 में अपलोड बिल बिना जी एस टी के लगाया गया है साथ ही अलग अलग 20000 रुपये की राशि भुगतान किया गया है। जो कहीं न कही फर्जीवाड़े की तरफ इशारा कर रहा है।
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इस तरह बिल आईडी 127884173 के माध्यम से 15000 रुपये का विनय कुमार भुगतान होना बताया गया है लेकिन पोर्टल पर अपलोड वाउचर धर्मेंद्र कुशवाह के नाम का हैं,जिससे ऐसा लग रहा है कि कहीं न कही पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा फर्जीवाड़ा किया जा रहा है वही पोर्टल पर दर्ज भुगतान राशि व वाउचर में दर्ज राशि भी अलग अलग है।
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इस पंचायत में ऐसे ही कई और भी बिल हैं जिनका भुगतान किसी राशि का किया गया है जबकि पोर्टल पर उपलोड बिल में राशि भिन्न दर्ज है बिल नंबर भी पोर्टल पर दर्ज व बिल पर दर्ज अलग अलग है । जो पंचायत में किसी बड़ी गड़बड़ी की तरफ इशारा कर रही है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसके चलते धड़ल्ले से इस तरह के बिलों का भुगतान पंचायत से हो रहा है वही इसमें दूसरी बड़ी गड़बड़ी बिल जारी करने वाले दुकानदारों की भी देखने को मिल रही है कि कैसे दुकानदार द्वारा बिना क्रेता के नाम व बिल जारी करने की दिनांक दर्ज किए बिल जारी कर दिया या फिर सरपंच सचिव द्वारा फर्जी तरीके से बिल लगाए गए है या फिर टैक्स चोरी के चक्कर में दुकानदार द्वारा इस तरह से फर्जी बिल जारी किए गए है। क्योंकि इन फर्जी बिलों के माध्यम से पंचायत द्वारा लाखों का भुगतान किया गया है।
सरपंच पति की चलती सरपंची
जब देनवापोस्ट ने भुगतान संबंधी जानकारी के लिए सरपंच से बात करनी चाहिए तो उनके पति मनोहर लाल कुशवाह ने फोन उठाया और कहां में सरपंच बोल रहा हूं। जब हमने कहां कि यहां तो ममता बाई सरपंच हैं। तो बोले कि में सरपंच पति बोल रहा हूं। वाउचर पर सरपंच के साइन नही होने का कारण जानना चाहा गोल मोल ज़बाब देते नजर आए। लेकिन सरपंच से बात नहीं कराई। इससेे यह कहना गलत नहीं होगा कि यह जनाब ही ग्राम के सरपंच हैं और इन्ही की सरपंची चल रही है।