
दीपक शर्मा/ माखन नगर : शासन से मिलने वाली राशि से ग्राम पंचायत द्वारा गावों में विकास कार्य तो कराए जाते हैं लेकिन टैक्स वसूली के मामले में माखन नगर जनपद की ज्यादातर ग्राम पंचायतें फिसड्डी साबित हो रही है। कुछ पंचायतों को छोड़ अधिकांश के सरपंच व सचिव टैक्स वसूली के काम में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। नतीजतन लंबे समय से बनी हुई समस्याओं का कोई निराकरण नहीं निकल रहा है और न ही ठीक तरह से नए काम हो रहे हैं।
ग्राम पंचायतें शासन से लाखों रुपए की राशि स्वीकृत होने के बाद गांवों में ग्रामीणों की सुविधा मुहैया कराने के लिए विकास कार्य तो कराती है लेकिन अपना राजस्व बढ़ाने के लिए टैक्स वसूली में कोई भी रूचि नहीं दिखा रही है। जनपद की कुल 64 ग्राम पंचायतों में से कुछ पंचायतों को छोड़ अधिकांश द्वारा जो सुविधाएं दी जा रही है, उसके एवज में टेक्स नहीं वसूला जाता है। इसके चलते पंचायत के राजस्व में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है। जिससे जो काम होना चाहिए वह समय पर नहीं हो रहे हैं।
विकास के लिए शासन पर रहते निर्भर
पंचायत के सरपंच व सचिव विकास कार्य के लिए शासन से राशि प्राप्त करने के लिए काफी प्रयास करते हैं लेकिन टैक्स वसूली के मामले में फिसड्डी साबित है। इस कारण कई गांव के लोगो को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। जिससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पंचायतों में लगते हैं ये कर
जिस तरह नगरीय क्षेत्र में नगर निगम व नगर पालिका की ओर से शिक्षा उपकर, प्रकाश कर, वृत्तिकर, संपत्ति कर, समेकित कर, जल कर वूसला जाता है, उसी तर्ज पर ग्राम पंचायतों को भी सुविधानुसार उक्त सभी प्रकार के टैक्स वसूल करना होता है। कुछ पंचायतों को छोड़ अधिकांश पंचायतों के पास इनकी वसूली से जुड़ा कोई रिकॉर्ड हीं नहीं है। पंचायत द्वारा वसूले गए टैक्स की जानकारी जिला पंचायत को मुहैया कराने के लिए हर वर्ष पत्र भी जारी होते हैं, लेकिन उनका उत्तर गिनती की पंचायतें ही देती हैं।
हर महीने बढ़ सकता राजस्व
ग्राम पंचायत द्वारा गांवों में जो सुविधाएं दी जा रही हैं उसके एवज में यदि वह लोगों से टैक्स वसूलती है तो हर महीने हजारों रुपए का राजस्व प्राप्त कर सकती है। इस राशि से ही वह गांव में दूसरे नए कार्य करा सकती है लेकिन इस समय कार्य की तरफ प्रमुखता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि पूर्व में पंचायत द्वारा जो कार्य किए गए थे, उसके बदले भी थोड़ा टैक्स लिया जाता तो पंचायत कई कार्य अपने स्तर से ही करा सकती थी और उसे छोटे कार्य को कराने के लिए शासन से राशि प्राप्त करने की जरुरत नहीं लगती।
समस्या का हो सकता है समाधान
विकासखंड के कई गांव आज भी ऐसे हैं, जिनमें विकास कार्य के नाम पर आज तक कुछ नहीं हो सका है। इन गांवों के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में परेशानी उठा रहे हैं। इसके बाद भी पंचायतों ने यहां विकास कार्य कराना उचित नहीं समझा है। पंचायतों द्वारा गांवों में कई योजनाओं के तहत विकास कार्य कराए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक टैक्स नहीं वसूला है जबकि पंचायत यदि टैक्स वसूलती तो वह लाखों रुपए का राजस्व बढ़ा सकती थी और इसी राशि से गांव में दूसरे विकास कार्य हो सकते थे परंतु ऐसा नहीं हुआ।
टैक्स वसूली के दिए हैं निर्देश
जनपद सीईओ संदीप डाबर ने देनवा पोस्ट को बताया कि सभी पंचायत सचिवों को उनकी पंचायत में बकाया टैक्स जमा कराने के निर्देश जनपद स्तर से जारी किए गए है। ये जानकारी भी मांगी गई है कि किस पंचायत में कुल कितना टैक्स वसूला जाना है और कब से इसकी वसूली होगी।