नई दिल्ली | लोकसभा में सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चार दिनों तक चले सफल “ऑपरेशन सिंदूर” पर सरकार का पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि भारत ने बिना किसी दबाव के अपने सभी सैन्य और रणनीतिक लक्ष्य पूरे किए हैं। विपक्ष के सवालों पर करारा पलटवार करते हुए उन्होंने दो टूक कहा— “हमारे सैनिकों की वीरता पर प्रश्नचिह्न लगाने की जगह, यह पूछा जाना चाहिए था कि क्या आतंक के अड्डे नष्ट हुए? क्या भारत ने दुश्मन को सबक सिखाया? उत्तर है— हाँ!”
‘ऑपरेशन रोका गया है, समाप्त नहीं’
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल स्थगित किया गया है, समाप्त नहीं। यदि पाकिस्तान की ओर से दोबारा कोई आतंकी दुस्साहस होता है, तो भारत बिना झिझक फिर से सैन्य अभियान छेड़ेगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा— “नई लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है।”
विपक्ष पर सीधा हमला
राजनाथ सिंह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष “गिरे हुए विमानों” की गिनती में लगा है जबकि असली सवाल यह है कि क्या भारत सफल हुआ? उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “यह परीक्षा के अंकों को देखने का समय है, न कि टूटी पेंसिलों की गिनती करने का।”
राम और कृष्ण की नीति पर आधारित रणनीति
राजनाथ सिंह ने भारतीय सैन्य नीति को भगवान राम और श्रीकृष्ण की रणनीति से जोड़ते हुए कहा— “शिशुपाल को सौ बार माफ किया जा सकता है, लेकिन धर्म की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र उठाना ही पड़ता है। हमने अब वह चक्र उठा लिया है।”
पाकिस्तान से कोई तुलना नहीं
रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को भारत के सामने नगण्य बताते हुए कहा, “शेरों को मेंढकों से नहीं लड़ना चाहिए। पाकिस्तान हमारे सामने कहीं नहीं ठहरता। हमारी रणनीति केवल आतंक के विरुद्ध है, किसी भू-क्षेत्र पर कब्ज़ा करना हमारा उद्देश्य नहीं है।”
डोज़ियर से निर्णायक कार्रवाई की ओर
उन्होंने 2008 के मुंबई हमले के बाद यूपीए सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की और कहा कि अब “डोज़ियर की जगह निर्णायक कार्रवाई” ने ले ली है— 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 में एयर स्ट्राइक और अब 2025 में ऑपरेशन सिंदूर इसका प्रमाण है।
सभ्य भारत बनाम बर्बर पाकिस्तान
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को एक “बर्बरता की टूलकिट” बताते हुए कहा— “यह सभ्यता और बर्बरता की लड़ाई है। खून और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।”
यह बयान न केवल भारत की सैन्य नीति की दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले पर सिर्फ़ कूटनीतिक बयानबाज़ी नहीं, बल्कि सीधी जवाबी कार्रवाई को प्राथमिकता देता है। संसद में विपक्ष की भूमिका पर कटाक्ष और राष्ट्रवाद की गूंज के बीच, यह वक्तव्य 2025 के राजनीतिक विमर्श को गहराई से प्रभावित करेगा।