अंतरजातीय विवाह जैसी संवेदनशील योजना भी नहीं बची—10 हजार लेते बाबू रंगेहाथों गिरफ्तार

नर्मदापुरम। नर्मदापुरम जिला अब भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बनता जा रहा है। बीते महज 15 दिनों में लोकायुक्त की दो बड़ी ट्रैप कार्रवाई इस बात का सबूत हैं कि जिले में आम नागरिक को उसका वैधानिक हक पाने के लिए भी रिश्वत की दलदल से गुजरना पड़ रहा है। सरकारी योजनाएं कागजों में जनकल्याण की बात करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बाबुओं और अफसरों की जेबें भरे बिना फाइलें आगे नहीं बढ़ रहीं।
कुछ दिन पहले कृषि विभाग के उपसंचालक को लोकायुक्त ने रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा था। अब ताजा मामला जनजातीय कार्य विभाग से सामने आया है, जहां बाबू मनोज कुमार सोनी को ₹10,000 की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त टीम ने दबोच लिया। यह कोई सामान्य मामला नहीं, बल्कि अंतरजातीय विवाह जैसी संवेदनशील और सामाजिक समरसता से जुड़ी योजना में खुलेआम घूसखोरी का है।
हक की राशि के लिए रिश्वत की मांग
फरियादी प्रवीण सोलंकी ने बताया कि उनका 1 मई 2024 को अंतरजातीय विवाह हुआ था। शासन की योजना के तहत उन्हें ₹2,00,000 की प्रोत्साहन राशि मिलनी थी, जिसका भुगतान जनजातीय कार्य विभाग द्वारा किया जाना था। लेकिन इसी विभाग में पदस्थ बाबू मनोज सोनी ने फाइल आगे बढ़ाने के नाम पर रिश्वत की मांग शुरू कर दी।
फरियादी के अनुसार, आरोपी बाबू ने दो किस्तों में पैसे देने की शर्त रखी थी। प्रवीण सोलंकी ने साफ कहा कि वह इतनी बड़ी रकम देने में सक्षम नहीं है, जिसके बाद उसने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के सत्यापन के बाद लोकायुक्त टीम ने जाल बिछाया।
वीडियो सबूत भी मौजूद
फरियादी ने यह भी बताया कि उसके पास रिश्वत मांगने का वीडियो मौजूद है, जिसमें आरोपी बाबू का चेहरा साफ नजर आ रहा है। यह वीडियो न केवल आरोपी की मंशा उजागर करता है, बल्कि विभागीय तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
फाइल में रखे ₹10,000 और खेल खत्म
लोकायुक्त टीम के साथ तय रणनीति के तहत फरियादी आज कार्यालय पहुंचा और फाइल में ₹10,000 रखकर जैसे ही आरोपी को दिए, लोकायुक्त टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को अभिरक्षा में ले लिया।
लोकायुक्त DSP का बयान
लोकायुक्त डीएसपी अजय मिश्रा ने बताया कि फरियादी प्रवीण कुमार है, जिनका अंतरजातीय विवाह 1 मई 2024 को हुआ था। शासन की योजना के तहत ₹2 लाख की प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि मनोज कुमार सोनी, जो कि जनजातीय कार्य विभाग के शाखा प्रभारी हैं, द्वारा पहले ₹1,00,000 की मांग की गई थी। शिकायत के बाद आज ₹10,000 लेते हुए उन्हें रंगेहाथों पकड़ा गया है। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।
सवालों के घेरे में पूरा सिस्टम
लगातार हो रही लोकायुक्त कार्रवाइयों ने नर्मदापुरम के प्रशासनिक तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि—
क्या बिना रिश्वत अब कोई योजना नहीं मिलेगी?
क्या सामाजिक योजनाएं सिर्फ घूसखोरों की कमाई का जरिया बन चुकी हैं?
क्या ऊपर तक संरक्षण के बिना ऐसे कारनामे संभव हैं?
नर्मदापुरम में बढ़ते भ्रष्टाचार के मामले अब चेतावनी नहीं, बल्कि खतरे की घंटी हैं। अगर यही हाल रहा, तो “जनकल्याण” सिर्फ पोस्टर और भाषणों तक सिमट कर रह जाएगा, और हकीकत में जनता लुटती रहेगी।