लोकसभा चुनावों से ऐन पहले ये अटकलें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया ओडिशा दौरे के बाद से तेज हुई हैं। पीएम ने हाल ही में संबलपुर में एक कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को अपना दोस्त कहकर संबोधित किया था। आम तौर पर विपक्षी दलों पर तीखे तंज कसने वाले प्रधानमंत्री ने वहां दोस्ती और विकास की ही बातें कीं और सियासी निशाना साधने से परहेज किया। इसके बाद से दोनों दलों के बीच दोस्ताना की अटकलें परवान चढ़ने लगी हैं।
पीएम के दोस्त कहने पर नवीन पटनायक ने भी आईआईएम-संबलपुर के स्थायी परिसर के उद्घाटन के दौरान उसी सभा में मोदी की प्रशंसा का गर्मजोशी से जवाब दिया और भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए उनके कार्यों की सराहना की थी।
सियासी अटकलों के बीच नवीन पटनायक के पूर्व सचिव से बीजेडी नेता बने 2000 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने इसे पीएम मोदी के साथ ओडिशा सीएम के रिश्ते और दोनों नेताओं का एक दूसरे के प्रति जबरदस्त सम्मान के तौर पर समझाया है। उन्होंने गठबंधन पर कोई खुलासा तो नहीं किया लेकिन इतना जरूर कहा कि 2014 में मोदी के पीएम बनने के बाद से केंद्र-राज्य संबंधों में जबरदस्त सुधार हुआ है।
टीओई से पांडियन ने कहा, “जब भी मोदी और नवीन मिलते हैं, तो वे ऐसा करते हैं जैसे दो दोस्त लंबे समय के बाद फिर से मिल रहे हों। वे सहकारी संघवाद के प्रति प्रतिबद्धता साझा करते हैं। उन दोनों नेताओं को एहसास है कि दोनों को खास उद्देश्य के लिए काम करने का जनादेश मिला है और वे उसका सम्मान करते हैं।”
नवीन पटनायक के बाद ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी में सबसे शक्तिशाली चेहरा माने जाने वाले पांडियन की यह टिप्पणी लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले आई है। कांग्रेस इसे बीजेपी और बीजेडी के बीच पक रही खिचड़ी का इशारा बता रही है। बीजेपी और बीजेडी के बीच समझ की अटकलों पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तीखी आलोचना की है। उन्होंने बुधवार को ओडिशा में अपनी भारत जोड़ी न्याय यात्रा के दौरान दोनों नेताओं पर ओडिशा में “साझेदारी सरकार” चलाने का आरोप लगाया। इस साल ओडिशा में लोकसभा के साथ विधान सभा चुनाव भी होने हैं। नवीन पटनायक अटल-आडवाणी काल में एनडीए में रह चुके हैं और कई मौकों पर मोदी सरकार के लिए भी संसद में संकटमोचक की भूमिका में रहे हैं।