Liquor Policy Case:आम आमदी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार संजय सिंह (Sanjay Singh) को लगभग 6 महीने बाद जमानत दे दी है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से ठीक पहले संजय सिंह को जमानत मिलना आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत की बात है. मालूम हो कि अरविंद केजरीवाल भी आबकारी घोटाले से जुड़े मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.
अक्टूबर में ED ने किया था गिरफ्तार
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने बीते साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान ED ने संजय सिंह की जमानत का विरोध नहीं किया.
शर्तों के आधार पर मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को राहत देते हुए कहा कि जमानत की शर्ते ट्रायल कोर्ट तय करेंगी. जमानत की शर्तों के मुताबिक, संजय सिंह लोकसभा चुनाव की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं.
क्या हिरासत में रखने की है जरूरत?
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कर्ट ने ED से पूछा कि क्या उसे आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह को और अधिक समय तक हिरासत में रखने की आवश्यकता है? न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि वह निर्देश लें और दोपहर भोजन के बाद न्यायालय के सत्र में उसे अवगत कराएं कि क्या सिंह को और अधिक समय तक हिरासत में रखने की आवश्यकता है. पीठ ने साथ ही कहा कि सिंह छह महीने जेल में बिता चुके हैं.
जमानत के लिए सिंह ने क्या दी दलील?
पीठ ने राजू से कहा कि संजय सिंह के पास से कोई धन बरामद नहीं हुआ है और 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने को लेकर उन पर लगे आरोप की जांच मामले की सुनवाई के दौरान की जा सकती है. प्रवर्तन निदेशालय ने सिंह को पिछले साल चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा चार अक्टूबर, 2023 को गिरफ्तार किए गए संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया था कि वह तीन महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं और इस अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं है. हाईकोर्ट ने 7 फरवरी को संजय सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन निचली अदालत को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था. इसके बाद, संजय सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.