
वांगचुक ने प्रेस से कहा, “यह सिर्फ सोनम वांगचुक पर हमला नहीं, बल्कि पूरे लद्दाख पर हमला है। यह LAB और KDA को कमजोर करने की कोशिश है।” उन्होंने याद दिलाया कि HIAL की स्थापना 2018 में लद्दाखी नेताओं की सर्वसम्मति से की गई थी और यह “धर्मार्थ संस्थान” है, कोई निजी विश्वविद्यालय नहीं।
आवंटन रद्द का आदेश
लेह के डिप्टी कमिश्नर रोमिल सिंह डोंक ने 21 अगस्त को आदेश जारी किया कि 1,076 कनाल और 1 मरला (लगभग 53.8 हेक्टेयर) ज़मीन को “राज्य यानी लेह स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC)” के लिए कुर्क किया जाए। आदेश में तहसीलदार को सभी अतिक्रमण हटाने और राजस्व रिकॉर्ड संशोधित करने को कहा गया। प्रशासन का कहना है कि 40 साल के पट्टे पर दी गई यह ज़मीन “अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर रही” थी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से LAB और KDA लगातार राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग कर रहे हैं। सोनम वांगचुक ने इन मुद्दों पर लंबे उपवास और मार्च का नेतृत्व किया है। केंद्र और लद्दाखी नेताओं के बीच आखिरी वार्ता 27 मई को हुई थी, जिसके बाद अधिवास नीति लागू की गई।
HIAL की उपलब्धियाँ
वांगचुक ने कहा कि HIAL से अब तक 400 छात्र उत्तीर्ण हो चुके हैं और यह संस्थान पूरे हिमालय के लिए गौरव है। उन्होंने ज़मीन का पट्टा रद्द करने को “साज़िश” बताते हुए कहा कि यह तब किया गया है जब लद्दाखी नेता सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।