
किडनी — ये सेम के आकार के छोटे अंग आपकी सेहत की सबसे बड़ी चाबी हैं।
वे चुपचाप आपके खून को दिन में कई बार छानते हैं, अपशिष्ट, इलेक्ट्रोलाइट्स और तरल संतुलन को बनाए रखते हैं, रक्तचाप और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करते हैं।
लेकिन जब ये क्षतिग्रस्त होते हैं, तो शरीर में कई असंतुलन शुरू हो जाते हैं — और कई बार पता भी नहीं चलता जब तक बहुत देर न हो जाए।
किडनी को नुकसान पहुँचाने वाले दो सबसे बड़े कारण
मधुमेह (Diabetes)
क्रोनिक किडनी डिज़ीज (CKD) का दुनिया भर में नंबर 1 कारण।
लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर किडनी की फ़िल्टरिंग यूनिट्स (ग्लोमेरुली) को नुकसान पहुँचाता है।
इसका शुरुआती संकेत होता है प्रोटीन्यूरिया — जब मूत्र में प्रोटीन आने लगता है।
यह गुर्दों की कार्यक्षमता को धीमे-धीमे खत्म करता है और रक्तचाप भी बढ़ाता है।
सावधानी: मधुमेह से पीड़ित 40% लोग CKD के शिकार होते हैं, खासकर अगर ब्लड शुगर नियंत्रण में न हो।
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
“खामोश हत्यारा” कहलाने वाला उच्च रक्तचाप किडनी का दूसरा सबसे बड़ा दुश्मन है।
जब रक्तवाहिकाओं में लगातार दबाव बना रहता है, तो यह किडनी की नाजुक केशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
इससे अपशिष्ट फ़िल्टर करने की क्षमता घटती है और रक्त में विषैले तत्व जमा होते हैं।
> यह एक चक्र बन जाता है: उच्च रक्तचाप → किडनी डैमेज → और अधिक रक्तचाप
किडनी की क्षति के अन्य कारण
कारण विवरण
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस किडनी की फ़िल्टर यूनिट की सूजन
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग आनुवंशिक रोग जिसमें सिस्ट गुर्दे को दबाते हैं
बार-बार होने वाले यूटीआई अनुपचारित संक्रमण गुर्दे को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचाते हैं
गुर्दे की पथरी लगातार रुकावट से चोट
दवाओं का दुरुपयोग खासकर NSAIDs, एंटीबायोटिक्स, कैंसर की दवाएं
रुकावटें प्रोस्टेट वृद्धि, ट्यूमर जैसी स्थितियाँ
स्व-प्रतिरक्षित रोग ल्यूपस, अल्पोर्ट सिंड्रोम आदि
मोटापा, सिकल सेल, हृदय रोग सहायक जोखिम कारक
किडनी की कार्यक्षमता घटने के लक्षण और प्रभाव
अपशिष्ट का जमाव → शरीर विषाक्त होता है
रक्तचाप बढ़ता है → स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा
पैरों और फेफड़ों में सूजन → सांस फूलना
एनीमिया, हड्डी कमजोर होना, नर्व डैमेज
अंत में: डायलिसिस या प्रत्यारोपण की ज़रूरत
क्या करें? — किडनी को स्वस्थ रखने के उपाय
1. ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
2. धूम्रपान छोड़ें और वजन संतुलित रखें
3. ज्यादा पानी पिएँ लेकिन ज़रूरत से अधिक नहीं
4. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएँ
5. दवाओं का सेवन समझदारी से करें
6. सालाना किडनी चेकअप करवाएँ
यूरीन प्रोटीन टेस्ट
ई-जीएफआर टेस्ट (Glomerular Filtration Rate)
किडनी वह मेहनती अंग हैं जो ध्यान आकर्षित किए बिना आपके शरीर को संतुलित रखते हैं। जब तक वे “चीखते” नहीं, तब तक हम उन्हें पहचान नहीं पाते।
समय रहते सावधानी और जागरूकता अपनाएँ — ताकि डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की ज़रूरत ही न पड़े।
DENVAPOST की सिफारिश:
यदि आपको मधुमेह, उच्च रक्तचाप, या पारिवारिक किडनी रोग का इतिहास है, तो अपने डॉक्टर से हर 6-12 महीने में किडनी फ़ंक्शन टेस्ट करवाना ज़रूरी है।