खंडवा जिले के ग्राम रोशनाई निवासी ज्योति ओसवाल को 21 मई को शहर के संत रिचर्ड पामपुरी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उन्हें किडनी संबंधी समस्या थी, जिसके इलाज के लिए अस्पताल के कंसल्टेंट डॉ. वाजिद शेख ने उनके पति मुकेश को ऑपरेशन की सलाह दी। ऑपरेशन के बाद ज्योति के दोनों पैर सुन्न पड़ गए, डॉक्टर ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए इंदौर के अरविंदो हॉस्पिटल रेफर कर दिया। 23 मई को इंदौर पहुंचे परिजनों को डॉक्टर ने बताया गया कि महिला के शरीर में इंफेक्शन फैल गया है, उनके दोनों पैर काटने पड़ेंगे। परिजनों ने महिला की जान बचाने के लिए सहमति दे दी। लेकिन इसके बाद भी ज्योति की हालत में सुधार नहीं हुआ। 16 जून को उसकी मौत हो गई।
जांच में पुष्टि हुई लापरवाही की
महिला की मौत के बाद गुस्साए परिजन खंडवा के संत रिचर्ड पामपुरी अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर वाजिद शेख के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान कुछ परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ भी की, जिसके सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुए। प्रशासन और पुलिस की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ। इसके बाद मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ. जुगतावत ने जांच दल गठित किया। जांच दल ने अस्पताल में महिला के इलाज से जुड़े दस्तावेजों की जांच की और पाया कि इलाज के दौरान लापरवाही बरती गई थी। विशेष रूप से खंडवा में दो दिन तक चले इलाज के दस्तावेज और बाद के 25 दिन की रिपोर्टों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया। जांच के बाद रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी गई।
पुलिस ने दर्ज किया केस
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पदम नगर थाना पुलिस ने डॉक्टर वाजिद शेख के खिलाफ BNS की धारा 106(1) के तहत इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज किया है। अब जल्द ही डॉक्टर की गिरफ्तारी हो सकती है। BNS की धारा 106(1) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति लापरवाही या जल्दबाजी में की गई कार्रवाई से किसी की मृत्यु का कारण बनता है (बिना हत्या की मंशा के), तो उसे 5 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। यदि यह कृत्य किसी पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान किया गया है तो उसे 2 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।