Khabar Aapke Kam Ki : क्या अब आम यात्री को कन्फर्म टिकट मिल पाएगा?

भारतीय रेलवे द्वारा 2.5 करोड़ से अधिक IRCTC यूज़र आईडी को निष्क्रिय करने का फैसला तकनीकी सुधारों की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा सकता है, लेकिन इसके पीछे छिपी समस्या की जड़ और भविष्य की चुनौतियां भी हमें उतनी ही स्पष्टता से समझनी होंगी।

टिकट बुकिंग : सुविधा या साज़िश?

रेलवे टिकटों की बुकिंग में कई वर्षों से एक समानांतर काली अर्थव्यवस्था विकसित हो चुकी थी — जिसमें दलालों, एजेंटों और फर्जी आईडी के सहारे टिकटों की कालाबाज़ारी एक खुला रहस्य था। आम आदमी को या तो प्रतीक्षा सूची में सड़ना पड़ता था या तत्काल योजना में भी दलालों के रहमो-करम पर निर्भर रहना पड़ता था। IRCTC द्वारा 2.5 करोड़ आईडी को निष्क्रिय करना इसी तंत्र पर पहली बार सार्वजनिक और स्पष्ट प्रहार है।

इतनी बड़ी संख्या क्यों?

अगर 2.5 करोड़ यूज़र ID “संदिग्ध” पाई गई हैं, तो यह आंकड़ा केवल तकनीकी खराबी नहीं दर्शाता, बल्कि सिस्टम की संरचनात्मक खामी को भी उजागर करता है। इतने बड़े पैमाने पर फर्जी ID बनाना किसी व्यक्तिगत प्रयास का परिणाम नहीं हो सकता; इसमें तकनीकी एजेंट नेटवर्क, बॉट सॉफ्टवेयर, और “एडवांस्ड रिजर्वेशन मॉड्यूल” का दुरुपयोग शामिल रहा होगा — जिससे आम यात्री बुकिंग के पहले ही चरण में पराजित हो जाता है।

आधार आधारित तत्काल टिकट : समाधान या नई दीवार?

सरकार ने 1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट को आधार से लिंक कर दिया है, जो सुरक्षा के लिहाज़ से सही दिशा में कदम है। लेकिन सवाल यह है कि — क्या यह तकनीक हर आम नागरिक के लिए सुलभ है? गांव-कस्बों में कई लोग अब भी डिजिटल साक्षरता से दूर हैं। ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि एक साजिश को रोकने के नाम पर दूसरा अवरोध आम यात्रियों के लिए खड़ा कर दिया जाए।

जिम्मेदारी तय होगी?

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की तत्परता सराहनीय है, लेकिन क्या किसी जिम्मेदार अधिकारी या नेटवर्क को भी चिन्हित किया गया है? सिर्फ निष्क्रिय ID हटाना समस्या की सफाई नहीं, उसकी सतह साफ करना भर है। टिकट माफिया के नेटवर्क को ज़मीनी स्तर पर भी तोड़ा जाना जरूरी है।

आगे की राह?

रेलवे को ब्लैकलिस्टेड एजेंटों की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए।

लोकल स्तर पर यात्रियों के सुझाव और अनुभवों के आधार पर तकनीकी सुधार किए जाएं।

प्लेटफ़ॉर्म टिकट की तरह ‘डिजिटल हेल्प कियोस्क’ छोटे स्टेशनों पर बनें, जिससे ग्रामीण यात्रियों को बिना एजेंट के टिकट बुकिंग की जानकारी मिल सके।

IRCTC पोर्टल को भारतीय भाषाओं में सहज और सरल बनाया जाए।

यह कार्यवाही रेलवे के सिस्टम में पारदर्शिता और ईमानदारी की शुरुआत हो सकती है, बशर्ते इसे सतही नहीं, नीति-प्रेरित और जवाबदेह तरीक़े से आगे बढ़ाया जाए।

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