मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आज भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अगर, ऐसा होता है तो 1968 में युवा कांग्रेस से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर पार्टी के साथ समाप्त हो जाएगा। कमलनाथ 22 साल की उम्र में अपने मित्र संजय गांधी के आग्रह पर युवा कांग्रेस से जुड़े थे। कमलनाथ सिर्फ कांग्रेस के नेता नहीं हैं, 70 के दशक में संजय गांधी और उनकी दोस्ती चर्चा का विषय रहती थी।
गांधी परिवार और कमलनाथ के रिश्ते की वो बातें जो आप नहीं जानतें
- इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई तो 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। बाद में जनता पार्टी की सरकार ने एक मामले में संजय गांधी को तिहाड़ जेल भेज दिया। इस दौरान संजय गांधी जानबूझकर एक जज से भिड़ गए। जिसके बाद अवमानना के आरोप में उन्हें भी तिहाड़ जेल भेज दिया गया। दोनों एक साथ जेल में रहे। इसके बाद वे इंदिरा गांधी के मन में छा गए।
- कमलनाथ का गांधी परिवार से रिश्ता कितना मजबूत था इस बात का अंदाजा एक सियासी कहावत से लगाया जा सकता है। यह प्रचलित कहावत थी- ‘इंदिरा गांधी के दो हाथ, संजय और कमलनाथ।’
- 1980 में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा से कमलनाथ को चुनावी मैदान में उतारा था। उनके लिए खुद इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार करने आई थीं। इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में कहा था- मैं नहीं चाहती कि आप लोग कांग्रेस नेता को वोट दें। मैं चाहती हूं कि आप लोग मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट देकर चुनाव जिताएं।
कांग्रेस में कैसे आगे बढ़े कमलनाथ?
- 1968 में युवक कांग्रेस में शामिल हुए।
- 1976 में उत्तर प्रदेश युवक कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए।
- 1970-81 तक अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे।
- छिंदवाड़ा से 1980, 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 तक सांसद रहे।
- साल 2000 से 2018 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे।
- इसके बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए।
- 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद, पहली बार छिंदवाड़ा से विधायक बने।
- 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
- कमलनाथ के नेतृत्व में 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस ने 15 महीने प्रदेश में सरकार चलाई।
- 2023 में छिंदवाड़ा से विधायक चुने गए। विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ा।
पांच बार केंद्रीय मंत्री बनाए गए कमलनाथ
- 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री
- 1995 से 1996 केंद्रीय कपड़ा मंत्री
- 2004 से 2008 तक केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री
- 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री
- 2012 से 2014 तक शहरी विकास व संसदीय कार्य मंत्री।