अदालत की जांच और निष्कर्ष
हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता द्वारा धारा 161 और 164 के तहत दर्ज बयान तथा शिकायत का अवलोकन किया। जांच में सामने आया कि याचिकाकर्ता एसईसीएल में गार्ड की नौकरी करता था, जबकि शिकायतकर्ता एक अतिथि शिक्षिका थी। दोनों का संपर्क 2019 में हुआ था, और मार्च 2020 से फरवरी 2021 के बीच याचिकाकर्ता कई बार शिकायतकर्ता के घर गया, इस दौरान शारीरिक संबंध भी बने।
मार्च 2021 में विवाह को लेकर दोनों पक्षों के परिवारों में बातचीत हुई, लेकिन परिजनों के बीच विवाद हो गया। इसके बाद अप्रैल 2021 में शिकायतकर्ता ने राजेंद्र नगर थाने में याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता ने स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाए थे और यह जबरदस्ती या धोखे का मामला नहीं था। न ही यह साबित हुआ कि शिकायतकर्ता पर किसी तरह का मनोवैज्ञानिक दबाव था। चूंकि आरोप तय करने के लिए आवश्यक भौतिक साक्ष्य मौजूद नहीं थे, इसलिए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार के आरोपों को निरस्त कर दिया।