Jabalpur News : एमपी हाईकोर्ट ने दस साल की सजा काटने के बाद पत्नी की हत्या के मामले में बरी किया

दस साल के कारावास की सजा काटने के बाद हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या कर उसकी लाश को दफनाने के मामले में आरोपी पति को दोषमुक्त कर दिया है। हाईकोर्ट जस्टिस अतुल श्रीधरन तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने पाया कि पूरा मामला परिस्थिति जन्य साक्ष्यों पर आराधित है। एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार, जब्त की गई कुल्हाड़ी में खून नहीं पाया गया था। महत्वपूर्ण गवाह अपने बयान से पलट गए थे। अपराध के लिए इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी पर खून का नहीं पाया जाना अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर करता है।

सीधी निवासी श्यामलाल उर्फ पप्पू पांडे ने कुल्हाड़ी से गर्दन पर हमला कर पत्नी की हत्या करने तथा शव को घर में दफनाने के अपराध में ट्रायल कोर्ट ने सितंबर 2016 को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था। अभियोजन के अनुसार, आरोपी ने 14 अक्तूबर 2015 की रात को वारदात को अंजाम दिया था। घटना के समय उसके माता-पिता और भाई-बहन रिश्तेदारी में आयोजित समारोह में शामिल होने गए थे। घटना के संबंध में आरोपी ने अपनी चाची को बताया था। चाची ने अपने बेटे को फोन पर घटना की जानकारी दी थी। चचेरे भाई ने घटना के संबंध में पुलिस को सूचित किया था। पुलिस ने 15 अक्तूबर 2015 को घर का दरवाजा खोलकर आंगन से शव को बरामद किया था।

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि साक्षी बृजलाल लोधी ने ट्रायल कोर्ट में बताया था कि अपीलकर्ता एक अक्तूबर से 14 अक्तूबर तक उसके घर में काम कर रहा था। पुलिस ने 15 अक्तूबर को उसके घर से अपीलकर्ता को गिरफ्तार किया था। उसके द्वारा अपीलकर्ता को किये गये भुगतान की रजिस्टर भी पेश किया गया है। किसी भी गवाह ने अपने बयान में यह नहीं कहा है कि उसने मुझे घटना स्थल में देखा था।

युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दूसरे दिन चचेरे भाई से चाबी लेकर घर का दरवाजा खोलकर आंगन में दफन लाश को पुलिस ने बाहर निकाला था। इसके अलावा भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-27 के तहत लिये गये अपीलकर्ता के बयान तथा उसकी गिरफ्तारी में 23 घंटे का अंदर है। गिरफ्तारी पत्रक में उसकी गिरफ्तारी 16 अक्तूबर बताई गयी है। गिरफ्तारी पत्रक में एक स्थान पर उसे 15 अक्तूबर को गिरफ्तार करना बताया गया था। गिरफ्तारी पत्रक में कई स्थानों पर ओवर राइटिंग की गयी है, जिससे पता चलता है कि पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी की तारीख के संबंध में हेराफेरी की है।

ट्रायल के दौरान अभियोजन साक्षी व अपीलकर्ता की चाची तथा उसका बेटा अपने बयान से पलट गये थे। इसके अलावा किसी भी गवाह ने अपीलकर्ता को घटना दिनांक को घर पर देखने के बयान नहीं दिया है। अपीलकर्ता ने किस उद्देश्य से पत्नी की हत्या अभियोजन यह भी साबित नहीं कर पाया है। अपीलकर्ता लगभग दस साल की सजा काट चुका है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ उसे दोषमुक्त कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!