Jabalpur News : घोड़ों की भूख से मौत

हैदराबाद से लाए गए 57 में से आठ घोड़ों की मौत का मामला गंभीर रूप लेता जा रहा है। आरोप है कि फिलीपींस में ऑनलाइन गैंबलिंग में घोड़ों का उपयोग किया जाता था। साक्ष्य छुपाने के लिए घोड़ों को भूखा रखकर मारा जा रहा है।

जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए यह आरोप लगाए गए हैं। पशु प्रेमी सिमरन इस्सर की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि हैदराबाद निवासी सुरेश पाल गुडू ‘हॉर्स पावर लीग’ के सूत्रधार हैं। हैदराबाद रेस क्लब में दो घोड़ों की रेस करवाकर उन्होंने ‘ट्रॉपंग करेठस्ता’ नामक एप के माध्यम से फिलीपींस में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग करते हुए सट्टा लगवाया। इस संबंध में फिलीपींस सरकार ने केंद्र सरकार से शिकायत की थी। शिकायत के बाद उन्होंने इसे बंद कर दिया था। सुरेश पाल गुडू के पास डेढ़ सौ से अधिक घोड़े थे, उन्होंने चार माह पहले से कर्मचारियों को वेतन देना बंद कर दिया था। भोजन नहीं मिलने के कारण लगभग 90 घोड़ों की मौत हो गई थी। साक्ष्य छुपाने के लिए घोड़ों को नियम विरुद्ध तरीके से जबलपुर लाकर पनागर के रैपुरा में रखा गया है।

पासपोर्ट के मालिकों के नाम अलग-अलग

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. प्रफुल्ल मून ने बताया कि ग्लैंडर्स बीमारी की संभावना को देखते हुए सभी घोड़ों और उनके संपर्क में आए आठ व्यक्तियों के ब्लड सीरम सैंपल जांच के लिए हरियाणा के हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र भेजे गए थे। अनुसंधान केंद्र से 44 घोड़ों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है और शेष रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। उपचार के दौरान आठ घोड़ों की मौत हो गई है। केयरटेकर संजय तिवारी ने घोड़ों के पासपोर्ट प्रस्तुत किए हैं। प्रस्तुत पासपोर्ट में उनके मालिकों के नाम अलग-अलग हैं। अभी तक पासपोर्ट में दर्ज किसी भी घोड़े का मालिक सामने नहीं आया है। हैदराबाद से जबलपुर लाने की मेडिकल स्वीकृति के दस्तावेज भी उनके द्वारा उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।

इन नियमों का नहीं किया गया पालन

  • हैदराबाद से लाने के लिए मेडिकल अनुमति प्राप्त नहीं की गई।
  • ट्रक में क्षमता से अधिक घोड़ों को लाया गया।
  • पशुपालन विभाग को सूचित नहीं किया गया।
  • ग्लैंडर्स बीमारी की संभावना के बावजूद लोगों से काम करवाया गया।
  • जानवरों में होने वाली यह बीमारी जानलेवा है।
  • यह बीमारी जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है।
  • घोड़ों को भोजन नहीं दिया जाता था।
  • पासपोर्ट में दर्ज घोड़ों के मालिक सामने नहीं आए।

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