कलेक्टर दीपक सक्सेना के अनुसार अंतर जिला मिलिंग के लिए मिलर्स द्वारा उठाई गई धान स्थानीय दलालों को बेचे जाने की शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसकी जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने जांच में पाया कि लगभग 14 हजार मीट्रिक टन धान के डीओ जारी किए गए थे। जिन वाहनों से धान की सप्लाई गई थी, उनके रजिस्ट्रेशन के संबंध में मिलर्स, एमपीएससीएससी तथा सोसायटी व उपार्जन केंद्र से जानकारी मांगी गई थी। धान की सप्लाई वाहनों से 614 ट्रिप में हुई थी। धान सप्लाई में लगे वाहनों के टोल टैक्स से निकलने के संबंध में एनएएचआई से जानकारी एकत्र की गई।
एनएचएआई की तरफ से कमेटी को बताया गया कि उक्त रजिस्ट्रेशन के 571 ट्रिप वाहन टोल टैक्स से निकले हैं। इसमें से 307 ट्रिप निकलने वाले वाहन कार या बहुत कम लोडिंग क्षमता के वाहन हैं। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन नम्बर भी फर्जी हैं। इस तरफ मिलिंग के लिए उठाई गई लगभग 13 हजार मीट्रिक टन धान का घोटाला किया गया है, जिसका मूल्य लगभग 30 करोड़ रुपये है। इसके अलावा जांच के दौरान पाया गया कि 7200 मीट्रिक टन धान की फर्जी खरीदी ऑन लाइन पोर्टल में दर्ज की गई है। वास्तविकता में उक्त धान की खरीदी नहीं की गई थी। इस प्रकार लगभग 16 करोड़ रुपये का घोटाला फर्जी धान खरीदी के माध्यम से किया गया।
सख्त कार्रवाई के निर्देश
प्रशासन ने संलिप्त मिलर्स के लाइसेंस और अनुबंध निरस्त करने तथा उन्हें ब्लैकलिस्ट करने का प्रस्ताव सक्षम प्राधिकारी को भेजा है। साथ ही, बैंक गारंटी जब्त कर धान मूल्य की वसूली के निर्देश दिए गए हैं। एमपीएससीएससी के दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों और उपार्जन केंद्रों के नोडल अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। जिले के सात थानों में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर पुलिस आगे की जांच में जुट गई है।