इस वर्ष इंदौर में सबसे पहले कोरोना के दो मरीज 22 अप्रैल को सामने आए थे, जिन्हें अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से एक 72 वर्षीय महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उन्हें किडनी सहित अन्य गंभीर बीमारियां थीं। इसके बाद लगभग एक महीने तक कोई नया कोरोना मरीज नहीं मिला। फिर 23 मई को दो नए मरीज सामने आए, जिनमें से एक की केरल यात्रा की जानकारी सामने आई थी। इसके बाद से हर दिन लगातार संक्रमित मरीज मिलते जा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।
मरीजों की यात्रा से जुड़ा है संक्रमण
अब तक मिले मरीजों की जांच करने पर यह सामने आया है कि अधिकतर संक्रमितों की ट्रेवल हिस्ट्री रही है। इनकी यात्रा यूके, सिंगापुर, मथुरा, उड़ीसा, बद्रीनाथ, केरल, गोवा, दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता, सूरत, अहमदाबाद, रायपुर, रतलाम, उज्जैन, देवास जैसे शहरों से जुड़ी हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाहरी संपर्क से कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इंदौर में कोरोना की जांच के लिए सरकारी स्तर पर एमवायएच और टीबी हॉस्पिटल में आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में जांच की जा रही है।
घबराएं नहीं, सतर्क रहें
एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. वीपी पांडे ने कहा कि कोविड-19 के वेरिएंट हर साल बदल रहे हैं, लेकिन अब तक जो नए वेरिएंट सामने आए हैं, वे पहले की तुलना में अधिक घातक नहीं हैं। अधिकांश मामले हल्के लक्षणों वाले हैं और मरीज घर पर ही इलाज से ठीक हो जाते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। समय पर जांच और इलाज ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि सतर्क रहें, मास्क का उपयोग करें, भीड़भाड़ से बचें और किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत जांच कराएं।