उत्तराखंड में मानसून हर साल की तरह इस बार भी तबाही लेकर आया है। धराली, थराली, हर्षिल और स्यानाचट्टी में आई आपदाएँ इसका ताज़ा उदाहरण हैं। इस आपदा का सबसे बड़ा ख़तरा उन सरकारी स्कूलों पर है, जो पहले से ही जर्जर हालत में हैं।
बच्चों को गिरती दीवारों, टपकती छतों और जंगली जानवरों के खतरे के बीच पढ़ना पड़ रहा है।
हाल ही में मरम्मत के लिए 20 करोड़ रुपये की किश्त जारी हुई है, लेकिन ज़मीनी हकीकत निराशाजनक बनी हुई है।
मरम्मत की अनुमानित ज़रूरत 72 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है।
सरकारी कदम:
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने मार्च 2026 तक मरम्मत पूरी करने के निर्देश दिए।
सात ज़िलों को 2-2 करोड़ रुपये, बाकी छह ज़िलों को 1-1 करोड़ रुपये आवंटित।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक मुकुल सती के मुताबिक अब तक 1,400 स्कूलों से मरम्मत के प्रस्ताव मिले हैं।
जमीनी तस्वीर:
देहरादून: 227 प्राथमिक और 44 माध्यमिक स्कूल तुरंत मरम्मत के मोहताज।
सिन्याली: बारिश में स्कूल की चारदीवारी बह गई।
चुक्खूवाला: इंटरकॉलेज की छत में दरारें, अभिभावकों ने जताई चिंता।
उधम सिंह नगर: 55 स्कूल आधिकारिक तौर पर जीर्ण-शीर्ण घोषित।
काशीपुर: नौ स्कूलों की कक्षाएँ आँगनवाड़ी व अस्थायी परिसरों में शिफ्ट।
जसपुर: बारिश में एक स्कूल में तीन फीट तक पानी भर गया।
मालदेवता (देहरादून): 2022 में क्षतिग्रस्त स्कूल अब तक नहीं बना।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मरम्मत व पुनर्निर्माण का काम समय पर नहीं हुआ, तो हर साल की बारिश बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बनी रहेगी।