
नेत्रवती नदी के पास एक जंगली इलाके में मिले इन अवशेषों की प्रारंभिक जाँच में फ़ोरेंसिक डॉक्टरों ने इन्हें पुरुष की हड्डियाँ माना है, हालाँकि अंतिम पुष्टि विस्तृत परीक्षण के बाद ही संभव होगी।
खोज और जब्ती: एसआईटी अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार और बुधवार को जिन पाँच अन्य स्थलों की खुदाई की गई थी, वहाँ कुछ नहीं मिला था। इससे पहले पहले स्थल से एक पैन कार्ड और एक डेबिट कार्ड बरामद हुआ था, जिसकी पहचान एक मृतक शराबी व्यक्ति से की गई है। अधिकारियों ने आशंका जताई कि यह व्यक्ति धर्मशाला के रास्ते में कार्ड गिरा बैठा हो सकता है।
शिकायतकर्ता का दावा: मामले की तह तक जाने वाली कहानी का आधार एक पूर्व सफ़ाई कर्मचारी का सनसनीख़ेज़ दावा है, जिसने आरोप लगाया है कि उसे वर्ष 1995 से 2014 के बीच 100 से अधिक शव – ज़्यादातर महिलाएं और नाबालिग – दफ़नाने को मजबूर किया गया था। यही व्यक्ति एसआईटी को 13 संदिग्ध दफ़न स्थलों तक लेकर गया।
जाँच में तेजी: गुरुवार को नौ वरिष्ठ अधिकारियों को टीम में शामिल कर लिया गया है, जिससे स्पष्ट है कि राज्य प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। खुदाई के दौरान पुत्तूर उपखंड की सहायक आयुक्त स्टेला वर्गीस भी मौके पर मौजूद थीं।
प्रश्न उठते हैं:
यदि शिकायतकर्ता का दावा सही है, तो यह मामला मानवाधिकार उल्लंघन, तस्करी या सांस्थानिक उत्पीड़न जैसी गंभीर आपराधिक श्रेणियों में आता है।
क्या इतने वर्षों तक इस भयावह कृत्य पर पर्दा डाल दिया गया था?
क्या किसी प्रभावशाली संस्थान या संगठित गिरोह की संलिप्तता है?
क्या यह धार्मिक आस्था या सामाजिक असमानता की आड़ में हुए अपराधों की एक गहरी परत है?
एसआईटी की जाँच आने वाले दिनों में और महत्वपूर्ण सबूतों को सामने ला सकती है। यदि अन्य स्थलों पर भी इसी तरह के अवशेष मिलते हैं, तो यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर हलचल पैदा कर सकता है। अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि आरोप कितने सही हैं, लेकिन शुरुआती संकेत बेहद चिंताजनक हैं।