Denvapost Exclusive : मोदी 3.0 की चुनौतियाँ और प्राथमिकताएँ: तीसरे कार्यकाल का रोडमैप

2024 में ऐतिहासिक जीत के साथ तीसरी बार सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल अब एक निर्णायक मोड़ पर है। मोदी 3.0 न केवल एक राजनीतिक उपलब्धि है, बल्कि इससे जुड़ी उम्मीदें और चुनौतियाँ भी पहले से कहीं ज़्यादा व्यापक और पेचीदा हैं।

प्रमुख चुनौतियाँ:

1. 📉 आर्थिक मंदी और बेरोजगारी

भारत की युवाओं की जनसंख्या वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी है, लेकिन रोजगार सृजन अभी भी बड़ा सवाल बना हुआ है।

MSME सेक्टर अभी भी कोविड और नोटबंदी के प्रभाव से पूरी तरह उबर नहीं पाया है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश और कृषि से जुड़े सुधार अपेक्षित हैं।

2. 🌾 कृषि और किसान आंदोलन की विरासत

किसानों में अब भी विश्वास की कमी है। कृषि कानून वापसी के बावजूद उनकी मूलभूत मांगें जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी पर ठोस कदम अपेक्षित हैं।

3. 🧱 संस्थाओं की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्य

सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक पर सत्ता के एकाधिकार के आरोपों को जवाब देने की जरूरत है।

विपक्ष कमजोर जरूर है, लेकिन देश में प्रजातांत्रिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखना मोदी सरकार के दीर्घकालिक छवि के लिए जरूरी होगा।

4. 🌐 विदेश नीति और चीन-पाक चुनौती

LAC पर चीन के साथ तनाव अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।

रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन टकराव के दौर में भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए वैश्विक नेतृत्व दिखाना होगा।

मोदी 3.0 की प्राथमिकताएँ:

1. 🏗 ‘विकसित भारत 2047’ की नींव

सरकार “विकसित भारत @100” के लक्ष्य को लेकर योजनाएं बना रही है, जिसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीकी नवाचार पर फोकस होगा।

2. 💡 डिजिटल इंडिया 2.0 और टेक्नोलॉजी नेतृत्व

भारत को AI, चिप मैन्युफैक्चरिंग, और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना मोदी 3.0 की प्राथमिक रणनीति है।

3. 🌱 हरित ऊर्जा और पर्यावरणीय नेतृत्व

2030 तक नेट ज़ीरो मिशन, सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में भारत को अग्रणी बनाने का लक्ष्य।

4. 🏛 संविधानिक सुधार और यूनिफॉर्म सिविल कोड

मोदी सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) को कानूनी रूप देने की दिशा में निर्णायक कदम उठा सकती है, जो सामाजिक बहस का बड़ा विषय बनेगा।

मोदी 3.0 केवल सत्ता का विस्तार नहीं, बल्कि राजनीतिक विरासत स्थापित करने की अंतिम पारी है। अगर यह सरकार नीतिगत साहस और सामाजिक संतुलन के साथ आगे बढ़ती है, तो यह भारत को एक नई दिशा देने वाला युग बन सकता है।

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