सोनकच्छ के गांव में तेंदुए की सवारी
देवास जिले के सोनकच्छ के गांव इकरोता में एक तेंदुआ घुस आया। वह बीमार था और ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। इसका ग्रामीणों ने फायदा उठाया। उन्होंने तेंदुए को घेर लिया। जब ग्रामीणों को लगा कि बीमार तेंदुए से उन्हें कोई खतरा नहीं है तो फिर वे पालतू जानवर की तरह उसके साथ बर्ताव करने लगे। किसी ने तेंदुए की पीठ पर बैठकर सवारी की तो किसी ने उसके साथ सेल्फी ली। ग्रामीणों ने तेंदुए के आसपास बैठकर ग्रुप फोटो भी खींचवाया।
गांव के मंदिर के पास ग्रामीणों को एक तेंदुआ नजर आया। पहले तो ग्रामीण डर गए और कोई पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा रहा था, लेकिन जब काफी देर तक तेंदुए ने कोई हरकत नहीं की तो एक ग्रामीण उसके पास गया और उसे छूने लगा। इसके बाद भी तेंदुए ने कुछ नहीं किया।
यह देख दूसरे ग्रामीणों का डर भी तेंदुए से खत्म हो गया। फिर तो वे तेंदुए के साथ पालतू जानवर जैसा व्यवहार करने लगे। भीड़ देखकर जब बीमार तेंदुआ उठकर धीरे धीरे चलने लगा तो एक ग्रामीण उसकी पीठ पर सवारी करने की कोशिश करने लगा। कुछ ग्रामीणों ने उसके साथ सेल्फी ली।
इतना सब सहने के बाद भी तेंदुए ने किसी पर हमला नहीं किया। यह नजारा कई ग्रामीणों ने कैमरे में कैद कर लिया। जब गांव में तेंदुए के आने की खबर वन विभाग को लगी तो वे टीम सोनकच्छ रवाना हुई। कर्मचारियों ने ग्रामीणों को तेंदुए से दूर किया और उसे पिंजरे में रखा। तेंदुए की बीमार हालत देखकर रात को उज्जैन संभाग की टीम को जानकारी दी। देर रात वन विभाग की टीम उसे इलाज के लिए भोपाल ले गई।
दो साल की उम्र है
तेंदुए की उम्र दो साल की है। डाक्टरों ने बताया कि तेंदुए की पाचन शक्ति खराब हो गई थी। इसलिए वह सुस्त था और ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। इस कारण उसने ग्रामीणों पर हमला नहीं किया। उपचार के बाद रात को उसने भरपेट भोजन किया।