
पिता पुत्र
दमोह जिले की तेंदूखेड़ा तहसील के समनापुर गांव निवासी मजदूर बसोरी रजक के बेटे ने एमपी पीएससी परीक्षा पास कर सहायक संचालक बन अपने पिता के सपनों को पूरा किया है। आज इस होनहार बेटे की सफलता से पूरा गांव गौरवान्वित है। बता दें कि बेटे की सफलता पर जब पिता का सम्मान हुआ तो पिता भगवानदास की आंखों से आंसू निकल आए।
तीन एकड़ जमीन के साथ की मजदूरी
58 वर्षीय बसोरी रजक बताते हैं कि उनके पास केवल तीन एकड़ जमीन है, जिसमें थोड़ी फसल बोकर परिवार के लिए अनाज का इंतजाम करते हैं और उसके साथ ही मजदूरी कर परिवार और बच्चों का भरण पोषण करते हैं। उनका सपना था कि बेटा भगवानदास पढ़ाई लिखाई कर एक बड़ा अधिकारी बने, क्योंकि वह पढ़ाई में काफी होशियार था। इसलिए उन्होंने परवरिश में कोई कमी नहीं रखी। कुछ दिन पहले बेटे
भगवानदास का पीएससी परिणाम आया, जिसमें वह शिक्षा विभाग में सहायक संचालक के पद पर चयनित हुआ। मेरे बेटे ने पूरे गांव में आज मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। मैंने जो तपस्या की उसका फल मुझे मिला है।
पिता ने कठिनाइयों में पलाई
35 वर्षीय भगवानदास रजक ने बताया कि उनका जीवन भी बड़ी कठिनाइयों से गुजरा है। पिता के पास केवल तीन एकड़ जमीन थी और हम लोग दो भाई थे। पिता ने खेती की और मजदूरी करके हम लोगों को पढ़ाया लिखाया और इस लायक बनाया कि आज मेरा चयन सहायक संचालक के पद पर हुआ है। मेरी शादी होने के बाद भी पिता ने मेरी पढ़ाई में हमेशा मेरा साथ दिया और उन्हीं के हौंसले के कारण में आज यहां पहुंचा हूं।
पूरे नगर ने किया सम्मानित
बसोरी रजक के बेटे को पीएससी में सफलता मिलने पर समनापुर गांव के लोग अपने आपको भी गौरवान्वित कर रहे हैं, क्योंकि गांव का कोई भी युवा इतने बड़े पद पर नहीं पहुंचा। तेंदूखेड़ा नगर के लोगों ने जब भगवानदास रजक का सम्मान किया तो उनके साथ उनके पिता को भी फूलमाला पहनाकर सम्मानित किया। यह देख पिता बसोरी रजक काफ़ी भावुक हो गये और आंख से आंसू निकल आए। क्योंकि कुछ समय पहले तक उनको लोग मजदूर और छोटा किसान समझकर अनदेखा करते थे, लेकिन अब बेटे की मेहनत के कारण उनको जगह, जगह सम्मान मिला है।