दमोह जिले में शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोप है कि यहां प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में दर्जनों शिक्षक फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त हुए हैं, लेकिन अब तक एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है।
जिले में फर्जीवाड़े का यह खुलासा बीते डेढ़ साल से मिल रही शिकायतों के आधार पर हुआ, जिनके अनुसार कुछ शिक्षकों ने फर्जी डीएड, बीएड और स्नातक डिग्रियों के जरिए नौकरी हासिल की थी।
एफआईआर पर प्रशासन की निष्क्रियता
मामले में 24 संदिग्ध शिक्षकों पर एफआईआर के निर्देश दिए गए थे, लेकिन दूसरी एजेंसियों पर जिम्मेदारी डालने और कार्यवाही को टालने की प्रवृत्ति के चलते आज तक कोई पुलिस कार्रवाई नहीं हो पाई।
जिला शिक्षा अधिकारी एस.के. नेमा ने कहा कि एफआईआर दर्ज कराना ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी थी। लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण यह काम लंबित रह गया।
अब EOW ने ली कमान
जब जिला स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) सागर ने 8 जुलाई 2025 को कार्रवाई करते हुए इस घोटाले की जांच अपने हाथ में ली। ईओडब्ल्यू ने 20 संदिग्ध शिक्षकों को नोटिस जारी कर 9 बिंदुओं पर दस्तावेज और स्पष्टीकरण मांगा है।
इससे पहले 16 मई 2025 को कलेक्टर ने स्वयं एसपी को निर्देशित किया था कि एफआईआर दर्ज की जाए, लेकिन न तो पुलिस ने पहल की और न ही शिक्षा विभाग ने दबाव बनाया।
जांच के घेरे में आए 16 शिक्षक
ईओडब्ल्यू द्वारा जारी प्रारंभिक सूची में इन शिक्षकों के नाम और उन पर लगे संदेह शामिल हैं:
1. संजीव दुबे – बीएससी डुप्लीकेट
2. मंगल सिंह ठाकुर – बीएड फर्जी
3. प्रभुदयाल पटेल – डीएड में गड़बड़ी
4. अरविंद असाटी – बीएससी फाइनल संदिग्ध
5. कल्याण प्रसाद झारिया – डीएड जांचाधीन
6. रश्मि सोनी – बीए फाइनल, एक ही अंकसूची
7. सुनील पटेल – डीएड जांच लंबित
8. नीलम तिवारी – डीएड संदिग्ध
9. आशा मिश्रा – बीएड, साझा अंकसूची
10. पुष्पा दुबे – बीएड, रिपोर्ट नहीं आई
11. महेश पटेल – बीएड, रिपोर्ट बाकी
12. प्रवीण सिंघई – बीएससी संदिग्ध
13. उमेश राय – डीएड, जांच में
14. रामप्रसाद उपाध्याय – फर्जी प्रमाणपत्र
15. मीना शर्मा – डीएड, रिपोर्ट का इंतजार
16. मनोज गौतम – डीएड फर्जी की शिकायत
नोटिस में मांगी गई ये 9 जानकारियाँ:
1. नियुक्ति से जुड़े समस्त दस्तावेज
2. जन्मतिथि और पहचान प्रमाणपत्र
3. नियुक्ति आदेश एवं पदस्थापन विवरण
4. वर्तमान पदस्थापना का स्थान
5. अब तक प्राप्त वेतन और भत्तों का ब्यौरा
6. आयकर रिटर्न और अन्य वित्तीय दस्तावेज
7. शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्रों का सत्यापन
8. परिवार और आश्रितों की जानकारी
9. समस्त अभिलेखों की सत्यापित प्रतियाँ
प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत?
इस पूरे प्रकरण में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि जब कलेक्टर स्वयं एफआईआर के निर्देश दे चुके थे, तो अब तक पुलिस या बीईओ स्तर पर कोई मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया गया? क्या यह प्रशासनिक निष्क्रियता मात्र है, या कहीं कोई संगठित मिलीभगत भी है?
अब जरूरी है – सख्त कार्रवाई और जवाबदेही
यदि जांच में फर्जीवाड़ा सिद्ध होता है, तो संबंधित शिक्षकों को तत्काल निलंबित/बर्खास्त कर अवैतनिक वेतन की वसूली की जाए।
एफआईआर दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही, भर्ती प्रक्रिया में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय हो।
यह मामला केवल शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि समाज और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ का है।