पहले भी चर्चा में आया मिशन अस्पताल
ऐसा पहली बार नहीं है कि दमोह शहर के राय चौराहे पर स्थित मिशन अस्पताल सुर्खियों में आया हो। इससे पहले भी यह कई बार चर्चा में रहा है। अस्पताल के संचालक अजय लाल पर मानव तस्करी और धर्म परिवर्तन कराने जैसे गंभीर आरोप में केस दर्ज हो चुका है। फिलहाल, डॉक्टर अजय लाल कोर्ट से जमानत पर चल रहे हैं। सात मरीजों की मौतों के मामले में कांग्रेस उन पर भी केस दर्ज करने की मांग सरकार से कर चुकी है। अगर, ऐसा होता है तो अजय लाल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं।
अस्पताल की घोर लापरवाही?
दमोह मिशन अस्पताल का प्रबंधन डिग्रियों की बिना जांच किए डॉक्टर एन. जॉन कैम को नौकरी पर रखने को लेकर घिर गया है।
अतिरिक्त जिला अभियोजक सतीश कपस्या कि कहा कि डॉक्टर एन. जॉन कैम को बिना जांच के अस्पताल में नौकरी पर रख लिया गया। यह घोर लापरवाही है। इस मामले में अन्य आरोपियों के भी शामिल होने की संभावना है। पुलिस इसकी जांच कर रही है।
कब बना अस्पताल, क्या-क्या सुविधाएं?
दमोह का मिशन अस्पताल 10 साल पहले शुरू हुआ था। यह जिले का सबसे बड़ा प्राइवेट अस्पताल है। इसमें 131 बेड हैं, इसके अलावा अस्पताल में सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे, ईसीजी, 3D इको, सोनोग्राफी के लिए अत्याधुनिक मशीनों के साथ-साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसी मशीनें भी मौजूद हैं। साथ ही, अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट, पैथोलॉजी लैब, ब्लड बैंक, डायलिसिस यूनिट और उन्नत ऑपरेशन थियेटर भी है। अस्पताल में 24/7 आपातकालीन और ट्रॉमा सेंटर की सुविधा भी मौजूद है।
वकीलों ने किया विरोध प्रदर्शन
दमोह मिशन अस्पताल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट रह चुके फर्जी डॉक्टर एन. जॉन कैम को बीते मंगलवार को न्यायालय में पेश किया गया था। इस दौरान कोर्ट में मौजूद अधिवक्ता आरोपी डॉक्टर और मिशन अस्पताल के संचालक अजय लाल के विरोध में उतर आए। उन्होंने लाल परिवार के खिलाफ प्रदर्शन किया और कई गंभीर आरोप लगाए। प्रदर्शन कर रहे एक अधिवक्ता ने कहा कि लाल परिवार बच्चों के अपहरण कराता है, धर्म परिवर्तन कराता है और अब फर्जी डॉक्टर दमोह बुला लिया। जिससे छह-सात मरीजों की मौत हो गई। लाल परिवार जिले के कई अपराधों में लिप्त है। लेकिन, अपनी पहुंच के कारण यह कोर्ट से जमानत लेकर आ जाता है। प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं ने मांग करते हुए कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और सभी आरोपियों की कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।