Damoh News: स्कूल जाने के लिए टूटी नाव से नदी पार कर रहे बच्चे, पुल तो बना लेकिन रास्ता नहीं

Damoh Children crossing river in broken boat to go to school bridge built but no path case of Patharia

नदी पार कर स्कूल जाते बच्चे

दमोह जिले के पथरिया तहसील के सागोनी कला गांव में रहने वाले बच्चे स्कूल जाने के लिए हर दिन अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। इस गांव के बच्चे सुनार नदी पार कर असलाना गांव पढ़ने जाते हैं। पुल बन गया है, लेकिन रास्ता नहीं है। यदि घूम कर जाएंगे तो दो गांव पर करते हुए उन्हें 10 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा और नाव से जाते हैं , तो एक किलोमीटर से कम दूरी तय कर स्कूल पहुंच जाते हैं, इसलिए गांव के बच्चे टूटी नाव में हर दिन जोखिम उठाकर स्कूल पहुंचते हैं।

स्कूल प्रबंधन भी इस बात को मानता है कि बच्चे जोखिम उठा रहे हैं, लेकिन उसके उनके पास इसका कोई हल नहीं है। स्कूल के प्राचार्य हरगोविंद तिवारी का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों तक इस समस्या की जानकारी पहुंचाई गई है। शासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि पुल का रास्ता बन जाए तो यहां के बच्चों का जोखिम खत्म हो जाए। अधिकारी कह रहे हैं कि हम दिखाते हैं।

पथरिया ब्लाक का सागोनी कला गांव और दूसरी तरफ असलाना गांव। इन दोनों गांव के बीच से सुनार नदी निकली है। बारिश के मौसम में नदी में पानी अधिक होने के कारण इस गांव का आवागमन बंद हो जाता है। या तो इन्हें नाव के सहारे आना पड़ेगा या फिर घूम कर सागोनी से चिरोला और चिरोला से असलाना पहुंचाना पड़ेगा। इसमें दूरी अधिक है इसलिए लोग इस रास्ते का उपयोग कम ही करते हैं। दो साल पहले इन दोनों गांव को जोड़ने के लिए सुनार नदी पर एक पुल निर्माण किया गया, लेकिन दोनों तरफ निजी जमीन के कारण रास्ता नहीं मिल रहा, किसान अपनी जमीन देने को तैयार नहीं।

अब इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या मनमानी कि पुल निर्माण की अनुमति देने से पहले यहां पर सड़क के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी नदी पार करते समय डरते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल आना है इसलिए मजबूरी है। कक्षा आठवीं में पढ़ने वाली छात्रा नंदनी अहिरवार ने बताया कि नाव से जाते समय डर लगता है, लेकिन मजबूरी है इसलिए आना पड़ता है। एक और छात्रा काजल अहीरवाल ने बताया की नदी पार करते समय डर लगता है, लेकिन पढ़ना है, इसलिए नाव से आना जाना पड़ता है। इन दोनों गांव के बीच नदी में नाव चलाने वाले नाविक परमलाल का कहना कि वह करीब 18 वर्षों से यहां लोगों को बारिश के समय नाव से लाते, ले जाते हैं। बदले में कुछ मिलता नहीं है, इसलिए चाहते हैं कि सरकार एक अच्छी सी नाव दे दे, कुछ पैसा दे दे ताकि जीवन यापन भी ढंग से होने लगे।

दमोह के प्रभारी कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ अर्पित वर्मा का कहना है की इस बारे में जानकारी मिली है। अधिकारियों से बात करेंगे कि आखिर पुल निर्माण हो गया है तो रास्ता क्यों नहीं बना है। समस्या के समाधान करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।

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