Damoh News: सास-बहू के नाम पर रखे गए प्राचीन तालाब की सफाई के दौरान अद्भुत नजारा

Damoh Amazing sight during cleaning of ancient pond named after Saas-Bahu

बहर की खुदाई के दौरान खड़े अधिकार

दमोह जिले के प्राचीन जलस्रोतों की सफाई और जीर्णोद्धार कार्य कलेक्टर के निर्देश पर चल रहा है। जिले के तेंदूखेड़ा ब्लाक के दोनी गांव में जब एक प्राचीन बहर की सफाई हो रही थी। उस दौरान का नजारा देख अधिकारी, ग्रामीण अचंभित रह गए। यहां प्रत्येक पत्थर पर नाग देव का वास मिला। खुदाई के दौरान सुखी राख मिली और सैकड़ों की संख्या में सांप यहीं बैठे मिले। पुजारियों के द्वारा पूजा करने के बाद नागदेव ने स्थान छोड़ा तब बावड़ी की सफाई और जीर्णोद्धार शुरू किया गया।

कहा जाता है तेंदूखेड़ा ब्लॉक के कई क्षेत्रों में राजा, महराजाओं का राज्य था और उनके किले और मठ आज भी तेंदूखेड़ा ब्लाक में मौजूद हैं। मामला दोनी ग्राम पंचायत का है। यहां हजारों वर्ष पुराने मठ हैं, जिनमें अनेक रहस्य छुपे हैं और उन्ही में से सास बहू के नाम की बहर भी है, जिसकी साफ सफाई कलेक्टर के निर्देश पर शुरू की गई। जैसे ही वहां सफाई अभियान शुरू किया लोग हैरत में पड़ गए।

बहर की गहराई मात्र आठ फीट है, जिसका पानी कभी ख़त्म नहीं होता। इसका पानी मोटर पंप के द्वारा तीन घंटे में खाली किया गया। लेकिन बीस मिनट बाद वह बहर अपने आप पूरी तरह फिर भर गई। उसके बाद जब दोबारा उसको खाली किया तो निचली परत पर गीली मिट्टी दिखी, जिसके अंदर सुखी राख थी।

पत्थर के अंदर मिला नागदेवता का वास

दोनी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि बहर की सफाई के दौरान उसमें चारो और पत्थर लगे थे और हर पत्थर के अंदर नागदेवता का वास मिला। सबसे बड़ी बात जब बहर की निचली गीली मिट्टी हटाई गई तो उसके अंदर सूखी राख मिली और सैकड़ों की संख्या में सांप मिले। बाद में पुजारी द्वारा पूजा अर्चना कराई गई। उसके बाद उनका गुस्सा शांत हुआ और वह सांप स्थान छोड़ दूसरी जगह चले गये, उसके बाद बहर का कार्य शुरू हुआ।

ग्रामीणों की माने तो उनका कहना है, यह बहर हजारों वर्ष प्राचीन है। जिसे सास बहू के नाम से जाना जाता है। यहां ईश्वरी शक्ति है, तभी तो मात्र आठ फीट गहरी बहर में हमेशा पानी भरा रहता है और उस बहर की रखबाली आज भी नागदेवा करते हैं, जिसकी सत्यता मौजूद अधिकारियों ने अपनी आंखों से देखी है।

ये बोले ग्रामीण और पुजारी

दोनी निवासी मनोज यादव ने बताया कि दोनी में अनेक मठ हैं और उनकी रखबाली आज भी नागदेवता कर रहे हैं, जिस बहर की सफाई हुई है। वहां हम लोग पानी लेने जाते थे और गर्मियों के दिनों मे 15 से 20 फीट लंबे सांप हमने खुद देखे हैं। इसी तरह गांव के बुजुर्ग ने बताया कि जिस बहर की बात कर रहे हैं, वह सास बहु के नाम से जानी जाती थी और वह राजा महराज के समय से है। आज भी यहां पानी रहता है और नागदेवता उसकी रखवाली करते हैं, ये सच्चाई है।

उपयंत्री सृष्टि राजपूत, सहायक यंत्री एसके राज ने बताया कि बहर खुदाई और सफाई के दौरान सांप बड़ी संख्या में निकले हैं और बाद में वहां पूजा अर्चना हुई सांप कहीं चले गए। उसके बाद अब बहर पूरी तरह साफ हो गई है और हजारों वर्ष पुरानी बहर को नया स्वरूप दिया गया है। पूरे मामले में तेंदूखेड़ा जनपद सीईओ मनीष बागरी का कहना है कि कलेक्टर के निर्देश पर सभी पुरानी बाबड़ी, बहर, कुओं का सुधार करके उनको नया स्वरूप दिया जा रहा है। दोनी में मठ के बाजु में जिस बहर की खुदाई और साफ कराई गई है। वहां चारो ओर लगे पत्थरों के अंदर नागदेवता का बास था। आठ फुट गहरी और आकार में छोटी बहर में सैकड़ों सांप निकले और गीली मिट्टी के नीचे सूखी राख भी मिली थी।

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