Congress Manifesto: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव को लेकर जहां भी रैलियां या जनसभा कर रहे हैं, कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला. लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र को झूठ का पुलिंदा करार देते हुए मोदी ने कहा, यह कांग्रेस को बेनकाब करने वाला घोषणा पत्र है. मोदी ने कहा, आप देखिए, हर पन्ने पर भारत के टुकड़े करने की बू आ रही है. कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है जो सोच आजादी के समय मुस्लिम लीग में थी. मुस्लिम लीग के उस समय के विचारों को कांग्रेस आज भारत पर थोपना चाहती है. उन्होंने कहा, मुस्लिम लीग की छाप वाले इस घोषणा पत्र में जो बचा-खुचा हिस्सा था उसपर वामपंथी हावी हो गए हैं. आज की कांग्रेस के पास न सिद्धांत बचा है, न ही नीतियां बची हैं. ऐसा लग रहा है कांग्रेस सबकुछ ठेके पर दे चुकी है.
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में जो कहते हैं उससे हमें बहुत दुख होता है, उन्होंने हमारे घोषणापत्र के बारे में जो कहा है वह झूठ का पुलिंदा है, हम इससे बहुत दुखी हैं. आप किसी और से असहमत हो सकते हैं. आप तर्क कर सकते हैं, आप इसका विच्छेदन कर सकते हैं, लेकिन यह कहना कि एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी जो हमारे राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल रही है, वह अपने घोषणापत्र में झूठ का पुलिंदा लिखेगी. उन्होंने आगे कहा, हम इस मामले से बेहद दुखी हैं और हम समझते हैं कि प्रधानमंत्री को ऐसी बात कहने का कोई अधिकार नहीं है. हमने इस मामले को चुनाव आयोग के समक्ष रखा है और उनसे विशेष अनुरोध किया है कि वे इसे गंभीरता से लें और इस पर कार्रवाई करें.
चुनाव आयोग के सामने बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई गई : पवन खेड़ा
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद कहा, हमने कई मुद्दे आयोग के सामने उठाए. जिस तरह से प्रधानमंत्री ने हमारे घोषणापत्र में मुस्लिम लीग को दर्जा दिया, उस पर हमने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. हमने विश्वविद्यालयों में प्रधानमंत्री के होर्डिंग्स पर भी अपने विचार व्यक्त किए. राजीव चंद्रशेखर जी, जो बीजेपी के उम्मीदवार हैं, उसके हलफनामे पर भी आपत्ति दर्ज कराई गई. कुछ यूट्यूब चैनल को भी सरकार बैन कर रही है, उसपर भी हमने आपत्ति दर्ज कराई है कि चुनाव की घोषणा होने के बाद यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, ये फैसले चुनाव आयोग ले सकता है. चुनाव आयोग जिसे हटाना चाहे उसकी सिफारिश करे या न करे. फिलहाल कार्यवाहक सरकार है और उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इस तरह प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है.