Chief Minister Siddaramaiah. File
कर्नाटक के बेलगावी ज़िले के सौंदत्ती तालुक स्थित हुलिकट्टी गाँव में 14 जुलाई को एक ऐसी घटना हुई जो न केवल कानून व्यवस्था बल्कि मानवीय मूल्यों और समाज की आत्मा पर भी सवाल खड़ा करती है। एक प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए बनी पानी की टंकी में ज़हर मिलाया गया — और इसका मकसद क्या था?
एक मुस्लिम प्रधानाध्यापक का तबादला करवाना।
पुलिस की प्रारंभिक जांच और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान के अनुसार, श्रीराम सेना के तालुक अध्यक्ष सागर पाटिल ने दो अन्य लोगों के साथ मिलकर यह साजिश रची:
सागर पाटिल व नागनगौड़ा पाटिल ने एक युवक कृष्ण मदार को ब्लैकमेल किया। कृष्ण मदार को मजबूर किया गया कि वह तीन प्रकार के कीटनाशकों को मिलाकर उसे एक जूस पैकेट में भर दे। एक छात्र को बहलाकर उस पैकेट को स्कूल की पानी टंकी में डलवाया गया। नतीजा — कई बच्चे बीमार पड़े। सौभाग्य से किसी की जान नहीं गई।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: कट्टरता पर सीधा हमला
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस घटना की तीखी निंदा की। उनका बयान केवल एक अपराध पर प्रतिक्रिया नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक और सामाजिक चेतावनी भी थी:
> “यह घटना प्रमाण है कि धार्मिक कट्टरवाद और सांप्रदायिक घृणा किसी भी जघन्य कृत्य को जन्म दे सकती है।”
“क्या शरणों की भूमि में इतनी घृणा पैदा हो सकती है?”
सिद्धारमैया ने खुलेआम श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र, और विपक्ष के नेता आर. अशोक से सवाल किया —”क्या आप जिम्मेदारी लेंगे?”
टास्क फोर्स और कठोर कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने सांप्रदायिक घृणा फैलाने वालों पर कार्रवाई हेतु विशेष टास्क फोर्स का गठन किया है।
उन्होंने जनता से भी अपील की — “ऐसी ताकतों के खिलाफ आवाज़ उठाएं, विरोध करें और शिकायत दर्ज करें।”
इस केस में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पुलिस अधिकारियों की सराहना की गई है।
जब नफ़रत बच्चों तक पहुँच जाए
इस घटना ने कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं:
1. क्या धार्मिक असहिष्णुता अब बच्चों की ज़िंदगी को भी नहीं बख्शेगी?
2. राजनीति और धर्म का यह ज़हरीला मिश्रण कहाँ तक जाएगा?
3. क्या स्कूल अब केवल शिक्षा का नहीं, षड्यंत्रों का भी मैदान बनते जा रहे हैं?
यह घटना केवल बेलगावी की नहीं है — यह एक सांस्कृतिक चेतावनी है, जो देशभर में धर्म के नाम पर राजनीतिक एजेंडा चलाने वालों को बेनकाब करती है।
न्याय की दिशा में अगला कदम:
तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। IPC की संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज है।
सजा की मांग केवल कानूनी नहीं, नैतिक रूप से भी अनिवार्य है — ताकि यह स्पष्ट संदेश जाए कि बच्चों के जीवन से खेलने वालों को समाज कभी माफ़ नहीं करेगा।
हुलिकट्टी की यह घटना भारत के सामाजिक ताने-बाने को झकझोरने वाली है। यह कोई मामूली अपराध नहीं — यह धर्म के नाम पर सुनियोजित हिंसा थी। अब समय आ गया है कि हम सवाल पूछें, राजनीति से जवाब माँगें, और बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिए सामूहिक नागरिक चेतना जगाएँ।