केजरीवाल CM दफ्तर जा सकते हैं या नहीं, जमानत के साथ SC की क्या-क्या बंदिशें

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। 10 लाख के बेल बॉन्ड पर उन्हें यह जमानत दी गई है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइंया की अदालत ने केजरीवाल को जमानत देने के साथ कई शर्तें भी लगाईं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी केस में अंतरिम जमानत के साथ दी गईं शर्तों को बरकरार रखा है। इस वजह से केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में काम नहीं कर पाएंगे। उन्हें किसी भी सरकारी फाइल पर साइन करने की इजाजत नहीं होगी।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने केजरीवाल को 10 लाख के बेल बॉन्ड और दो शुरिटीज पर जमानत दी है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केजरीवाल जमानत के दौरान केस के मेरिट पर किसी तरह की सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आवेदनकर्ता (केजरीवाल) केस की मेरिट पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। ईडी केस में इस अदालत ने जो शर्तें लगाईं हैं, वे इसमें भी लागू होंगी। हालांकि, जस्टिस भुइंया ने कहा कि वह सचिवलाय जाने पर रोक की शर्त से सहमत नहीं हैं। लेकिन दूसरे केस में फैसले की वजह से इस पर अधिक टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल ने सीबीआई मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से 05 अगस्त को अपनी याचिकाएं ठुकरा दिए जाने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च और सीबीआई ने 26 जून 2024 को गिरफ्तार किया था।

शीर्ष अदालत ने आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज मुकदमे में केजरीवाल को 12 जुलाई को अंतरिम जमानत दे दी थी। यदि सीबीआई की ओर से जून में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया होता तो वह जेल से रिहा कर दिए गए होते। शीर्ष अदालत ने इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्हें अंतरिम जमानत दी थी।

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