तेज प्रताप यादव ने स्पष्ट किया है कि वे 2025 का विधानसभा चुनाव महुआ सीट से लड़ेंगे — चाहे पार्टी उन्हें टिकट दे या नहीं। तेज प्रताप ने यहाँ तक कह दिया था कि अगर राजद ने टिकट नहीं दिया तो वह इसी सीट से पार्टी को हराकर दिखाएँगे।
सोशल मीडिया से उपजा विवाद, और पारिवारिक निष्कासन
तेज प्रताप का यह तीखा रुख तब सामने आया जब कुछ सप्ताह पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में अपने 12 साल पुराने संबंध का खुलासा किया। इसके तुरंत बाद विवाद गहराया, और उन्होंने दावा किया कि उनका अकाउंट हैक हो गया था।
लेकिन पार्टी नेतृत्व – खासकर उनके पिता लालू प्रसाद यादव – ने इसे गंभीर मानते हुए तेज प्रताप को “नैतिक और सामाजिक मूल्यों के उल्लंघन” के आरोप में पार्टी और परिवार दोनों से निष्कासित कर दिया।
तेज प्रताप का यह निजी पोस्ट कई लोगों को उनका पुराना वैवाहिक विवाद याद दिला गया, जब उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय से शादी की थी। कुछ ही महीनों बाद, ऐश्वर्या ने तेज प्रताप और उनके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था और मामला तलाक तक जा पहुँचा। यह याचिका अब भी पारिवारिक न्यायालय में लंबित है।
राजनीति में ‘अस्तित्वहीन’: राजद का पलटवार
राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने तेज प्रताप के दावे पर दो टूक कहा –
“तेज प्रताप यादव का अब राजनीति में कोई अस्तित्व नहीं है। वह पार्टी में नहीं हैं, इसलिए यह कोई मायने नहीं रखता कि वह कहाँ से चुनाव लड़ना चाहते हैं।”
#BREAKING: चुनाव को लेकर तेजप्रताप का ऐलान, निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे तेजप्रताप यादव #Deshhit #TejPratapYadav #BiharElections | @ramm_sharma pic.twitter.com/unobW2rdMH
— Zee News (@ZeeNews) July 26, 2025
यह बयान उन्होंने जमुई में आयोजित एक अति पिछड़ा सम्मेलन के दौरान पत्रकारों से बातचीत में दिया। यह भी स्पष्ट हो गया कि पार्टी स्तर पर तेज प्रताप की वापसी की कोई योजना नहीं है।
सियासी पथ अकेला, लेकिन इरादे बुलंद
तेज प्रताप की ‘टीम तेज प्रताप’ नामक पहल को वे जनता तक पहुंचने का एक नया मंच बता रहे हैं। वे कहते हैं कि “जो भी सरकार युवाओं, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की बात करेगी, मैं उनके साथ खड़ा रहूँगा।”
लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह मंच महज़ प्रचारात्मक है या किसी पार्टी गठन की भूमिका।
राजनीतिक विश्लेषण: आत्मप्रदर्शन या वैकल्पिक धारा?
बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव आज जहाँ विपक्ष के नेता और भावी मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं, वहीं तेज प्रताप खुद को लगातार अलग, विद्रोही और अपरंपरागत साबित करते आ रहे हैं – कभी कृष्ण रूप में, कभी एलओआरडी ब्रांड के जरिए, और अब सोशल मीडिया व व्यक्तिगत रिश्तों के जरिये सुर्खियों में।
उनकी मौजूदा रणनीति में न संगठन दिखता है, न समर्पित कार्यकर्ता वर्ग – लेकिन व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा अवश्य झलकती है।