Bhopal News:RKS कर्मचारियों के वेतन में विसंगति, कुछ जिलों में 5500 तो कुछ में 12500 रुपए

Discrepancy in the salaries of RKS employees, in some districts it is Rs 5,500 and in some it is Rs 12,500.

प्रदेश के कई जिलों में अभी भी इन स्वास्थ्य कर्मियों को 5500 रुपये ही दिया जा रहा है।
– फोटो : सोशल मीडिया

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के रोगी कल्याण समिति के मार्फत काम करने वाले कर्मचारियों के साथ बड़ा भेदभाव सामने आया है। प्रदेश के कुछ जिलों में इन कर्मचारियों को 12796 तो कुछ जिलों में महज 5500 दिया जा रहा है। जबकि इसके लिए 2019 में विभाग से आदेश जारी किया गया था।

गौरतलब है कि सन 2019 में करीब 2500 स्वास्थ्य कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) से हटाकर रोगी कल्याण समिति में शामिल किया गया था। और एनएचएम द्वारा आदेश जारी किया गया था कि इन कर्मचारियों को शासन द्वारा निर्धारित अर्ध कुशल श्रमिक दर से मानदेय दिया जाए, लेकिन करीब पांच वर्ष का समय बीत गया है। प्रदेश के कई जिलों में अभी भी इन स्वास्थ्य कर्मियों को 5500 रुपये ही दिया जा रहा है। जबकि इसके लिए कर्मचारियों ने लगातार आला अधिकारियों के पास गुहार लगा रहे हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि भिंड, श्योपुर, सागर, डिंडोरी, नरसिंहपुर ऐसे कई जिले हैं जिनमे 2019 के शासन द्वारा निर्धारित अर्ध कुशल श्रमिक दर से भुगतान न करते हुए मात्रा 5500 रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित करीब प्रदेश के आधे जिलों में अर्ध कुशल श्रमिक दर से भुगतान किया जा रहा है।

2019 से भी कम मिल रहा है कर्मचारियों को वेतन

अधिकारियों की दोहरी नीति के चलते रोगी कल्याण समिति के अंतर्गत काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर गहरी मार पड़ रही है। खास बात यह है कि उन्हें 2019 में जो वेतन मिलता था, उससे भी कम वेतन दिया जा रहा है। जब वह एनएचएम के अधीन काम करते थे तो उन्हें 7125 मानदेय दिया जाता था, अब उन्हें महज 5500 रुपए दिया जा रहा है। जिससे उनका घर चलना मुश्किल हो रहा है।

मांगे नहीं मानीं तो चुनाव बाद होगा प्रदर्शन

एनएचएम संविदा आउट सोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधीन गत कई वर्षों तक सेवाएं दे चुके सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को विभाग के अधिकारियों की दोहरी नीति के कारण आधे से भी कम वेतन दिया जा रहा है।

13 अगस्त 2019 के आदेश का पालन कई जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया। संघ इसको लेकर चुनाव बाद प्रदेश भर में प्रदर्शन करेगा। वरिष्ठ अधिकारियों की उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कराई जाए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक द्वारा 2019 से आज दिनांक तक आदेश का परिपालन क्यों नहीं किया गया इसकी जांच हो।

बजट कम होने का दिया हवाला

सागर जिला के जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. ममता तिमोरिया ने बताया कि रोगी कल्याण समिति के अंतर्गत काम करने वाले कर्मचारी बीएमओ के अंतर्गत आते हैं उनके लिए बजट भी बीएमओ के पास आता है। इसके लिए हमने बीएमओ को कई बार लेटर भी लिखा है, लेकिन उनका तर्क है कि बजट काम आता है। इस वजह से सैलरी में बढ़ोतरी नहीं की गई है।

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